आया था प्यार का पैगाम लेकर गांव में तेरे
क्या पता था नफरत का कारोबार होता है यहाँ
हैवानियत भी शब्द छोटा लगा देख ये मंजर
तेरे गाँव में कातिलों का मेला लगा था जहाँ
मेरा कसूर ही तो था जो दिल्लगी का जूनून सवार था
फरेब और झूठ से दिल लगाने का अंजाम मौत ही तो है यहाँ
मेरा कातिल मैं तुझे कहुँ, या चंद लोगों को गांव में तेरे
लोगो की मानें तो भीड़ में शामिल हर शख्स कातिल है यहाँ
वो लड़की भी जिसे मिलकर मौत को गले लगाया यहाँ
वो बाप भी जिसने पूरा कसूर ही मेरा पाया वहाँ
वो प्रधान भी कातिल जिसने बेल्ट घूसों से नवाजा मुझे
वो तमाम लोग जिन्होंने हाथों से मारा मुझे
और वो बूढ़ी दादी भी जो मुझ पर तरस खा न सकी
वो महिलाएं जो मेरे खून देख आंसू बहा न सकी
वो अंकल जो मेरी मिन्नतों को अनसुना करते रहे
वो तमाशबीन लड़के भी जो दरिंदों क चंगुल से मुझे बचा न सके
पर शुक्रगुजार हूँ मैं कुछ लोगों का गाँव में तेरे
जिनके कैमरों ने सच को उजागर किया
शुक्रगुजार हूँ दोस्तों का जिन्होंने मेरी मौत पर
इंसाफ माँगा और अपने प्यार का उपहार दिया
मेरे पापा मुझे माफ़ करना मैं लाठी न बन सका बुढ़ापे की
माँ के साथ रहूँगा स्वर्ग में तुम फ़िक्र न करना यहाँ
और मेरे कातिलों तुम भी नर्क भोगोगे इसी दुनिया में
अब कोई न आएगा प्यार का पैगाम लेकर गाँव में तेरे।