Monday 22 February 2016

देशद्रोहियों की पहचान हो गयी है अब सबक सिखाना बाकी है.......

देशद्रोहियों की पहचान हो गयी है
 अब सबक सिखाना बाकी है.......








बस कह दिया कहकर जो सबसे बङा गुनाह कर गये
पुछल्लों को मतलब पता नहीं और ताली बजाते रह गये
अफजल को शहीद और तिरंगा को बदनाम कह गये
वतनपरस्तों की शहादत पर दाग दे गये

शर्म आती है देश के जयघोष में जिन्हें, उनको सच्चा देशभक्त कह गये
आग लगाने वालो की कमी नहीं यहाँ, सारे नेता हाथ सेकते रह गये

सबसे बङा जुर्म अपराध माँ के अपमान का, चुपचाप सह गये
इनके सारे उसूल, गैरत, संस्कार आज गटर में बह गये
आज तो अपनी ही माँ को ये कठुए गंदी गाली दे गये
कैसे जवाब दूँ माँ तुझे, तेरे अपने ही तुझे नोचते रह गये

पर मैं तेरा पूत, माँ तुझे कोई हानि न होने दुँगा
सर काट कर रख दूँ  द्रोहियो का, वक्त पर कुर्बानी भी दूँगा

माँ तुझे सलाम.......
भारत माँ की जय


#mhicha














Wednesday 17 February 2016

A SHORT STORY FROM PAST MEMORIES


A SHORT STORY FROM PAST MEMORIES

                                                                                                                                        March 25, 2011, Friday

I lived in Delhi from April 2008 to September 2011. Robin was one of my close friends and we spent most of time together those days. One day he insisted me to go his village with him to attend the Naming Ceremony of his nephew. We planned the trip together and reached his village, Maduli (15 kilometres ahead from Bhikyasen, Uttarakhand) in the morning of the day 25 March, 2011.

कई भाई लोग साथ आ रहे हैं, अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है। आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है। उन्नति के शिखरों में अब राज्य ह...