Sunday 2 May 2021

भुवन जोशी को समर्पित भावपूर्ण श्रद्धांजलि


आया था प्यार का पैगाम लेकर गांव में तेरे 

क्या पता था नफरत का कारोबार होता है यहाँ 

हैवानियत भी शब्द छोटा लगा देख ये मंजर 

तेरे गाँव में कातिलों का मेला लगा था जहाँ 


            मेरा कसूर ही तो था जो दिल्लगी का जूनून  सवार था 

            फरेब और झूठ से दिल लगाने का अंजाम मौत ही तो है यहाँ 

            मेरा कातिल मैं तुझे कहुँ, या चंद  लोगों को गांव में तेरे 

            लोगो की मानें तो भीड़ में शामिल हर शख्स कातिल है यहाँ 


वो लड़की भी जिसे मिलकर मौत को गले लगाया यहाँ 

वो बाप भी जिसने पूरा कसूर ही मेरा पाया वहाँ 

वो प्रधान भी कातिल जिसने बेल्ट घूसों से नवाजा मुझे 

वो तमाम लोग जिन्होंने हाथों से मारा मुझे 


            और वो बूढ़ी दादी भी जो मुझ पर तरस खा न सकी 

            वो महिलाएं जो मेरे खून देख आंसू बहा  न सकी 

            वो अंकल जो मेरी मिन्नतों को अनसुना करते रहे 

            वो तमाशबीन लड़के भी जो दरिंदों क चंगुल से मुझे बचा  न सके 


पर शुक्रगुजार हूँ मैं कुछ लोगों का गाँव में तेरे 

जिनके कैमरों ने सच को उजागर किया 

शुक्रगुजार हूँ दोस्तों का जिन्होंने मेरी मौत पर 

इंसाफ माँगा और अपने प्यार का उपहार दिया 


            मेरे पापा मुझे माफ़ करना मैं लाठी न बन सका बुढ़ापे की 

           माँ के साथ रहूँगा स्वर्ग में तुम फ़िक्र न करना यहाँ

            और मेरे कातिलों तुम भी नर्क भोगोगे इसी दुनिया में 

           अब कोई न आएगा प्यार का पैगाम लेकर गाँव में तेरे। 

            

            

कई भाई लोग साथ आ रहे हैं, अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है। आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है। उन्नति के शिखरों में अब राज्य ह...