Sunday 19 June 2016

बरसात हूँ मैं, बरसूँगी ही

बरसात हूँ मैं, बरसूँगी ही
सदियो से बरस रही हूँ, समय पर
जब-जब ताप बढ़ा है- धरा पर
तिलमिलाता हुआ जीवन हुआ गर्मी से
जब-जब भानु लाल हुआ- गगन पर
मैं खुद से ही पृथक हो गयी
बूँद-बूँद कर तरल हो गयी
अपनाकर धरा को गले लगाकर
उसका ताप निगल मैं भस्म हो गयी
पर अहं नहीं
उसने भी तो अपनी बाहों में कभी संभाला मुझे
तो उसकी रक्षा तो करूँगी ही
बरसात हूँ मैं, बरसूँगी ही
#mhicha

Tuesday 14 June 2016

विरह वेदना




बरस जा, ए बादल! तू लाख मर्तबा
भिगो दे ये जमीं ये आसमाँ
तन गीला कर या मन में ले समा
तेरी मंद-मंद मुसकुराहट
और भावमयी संवेदना से
न मचलेगा मेरा जी
चाहे हों लाख जतन तेरे
छुप जाये आँखों की नमी
तेरी लाख कोशिशें मुझे रिझाने की
व्यर्थ हैं- मुझ पर.........
मै प्यासी हूँ, पर मिलन की
प्रीत को गले लगाने की
उसकी बाहों में बिखरकर बह जाने की
उसकी साँसों से दिल की हसरतें मिटाने की
उसके प्यार भरे लबों से प्यास बुझाने की
तेरा बरसना व्यर्थ है मुझ पर
ए सावन!
तू बढ़ा तो देगा मेरी वेदना
पर क्या मिला पाएगा मेरे प्रिय से?

#mhicha

Monday 13 June 2016

मानवता चहके चहुँ ओर

काश!
एक बार फिर चमन में वो फूल खिले
जिसकी खुशबू में अमन की महक हो
काश सूर्योदय फिर ऐसा हो गगन में
हर ओर प्रकाश हो, स्वच्छता दिखे
मन साफ, बैर रहित, समाजहित में कार्य हो
और मानवता चहके चहुँ ओर-
मैं अभी जीवित हूँ।

Tuesday 7 June 2016

त्यर हौंठुलै म्यर हौंठुकै लाल करी जा


त्यरी म्यरी यारी मा प्यारी जिउन उठी बहार वे
चानै चानै टुकी मा ल्हैगो प्यारू कौ बुखार वे
सुन दगङी ब्याऊ कै मुलाकात करी जा
त्यर हौंठुलै म्यर हौंठुकै लाल करी जा

ठाङ चढैई कौ धार मा, कोसी को किन्यार मा
दिन हैबेर सांझ लागीगै त्यरै  इंतजार मा....2
तू ऐजा दगङी सटपट ऐजा, दिल रङीगो त्यरै प्यार मा

त्यरी म्यरी बातूँ मा हैगे प्यार की बरसात वे
दखनै चानै बी लै हैंगई स्युन फुटीबेर पात वे
सुन दगङी ब्याऊ कै मुलाकात करी जा
त्यर हौंठुलै म्यर हौंठुकै लाल करी जा

तीस मिटानी पाणी ज्यसी बानी
संगीत बजानी पैरूँ कौ छम छम छम
तापी घामम छाउ जस आँखुकौ काजल
त्यरी हँसणी मुखङी मा मर मिटु हम
चाल चमकुङी जस बिंदुली त्यरी
हाथों कु चूङियांकू खन खन खन
त्यर खुली बालूँकु सोचीबे बैठ्यु
कुढी घरबार बिसरीगु हम

त्यर म्यर इकरार मा ज्यसी चल पङी बयार वे
चानै चानै टुकी मा ल्हैगो प्यारू कौ बुखार वे
सुन दगङी ब्याऊ कै मुलाकात करी जा
त्यर हौंठुलै म्यर हौंठुकै लाल करी जा

#mhicha

Sunday 5 June 2016

सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को

सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को
सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को
थोड़ा बदलेगा उसके व्यवहार को
बदलना तो दूर की बात
बढ़ा लिया है अपने पाप को
सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को

कहीं पे चोरी,कहीं पे दंगे
मार रहे हैं सब भूखे और नंगे
सोचा था बढ़ाएगा भाईचारे को
प्रेम को, सदभाव को
सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को

एक हाथ से पैसा लेते, एक हाथ से काम कराते
फिर उसी पैसे के लिए एकदूसरे को मारते काटते
किसी दिन चबा जाएँगे समाज को
इस देश को, इस संसार को
सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को

धर्म को मज़ाक बना दिया है
कैसा था अब कैसा बना दिया है?
बाँट दिया है दुनिया, समाज को
इंसान को, भगवान को
सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को

अमीर, ग़रीब का भेदब नाकर
दबा दिया है इंसान को
बेच दिया है ईमान को
सम्मान को, पहचान को
सोचा था बदलाव बदल देगा इंसान को
BY
GAURAV NAILWAL
CLASS- 9TH
MOUNT OLIVET SR SEC SCHOOL
BURARI, DELHI-84

Saturday 4 June 2016

क्या देखा परमेश्वर को?



धरा गगन से दिखते तारे
तारों से वो देख धरा
कहता होगा सांगी साथी से
इस प्राणी को तू देख ज़रा
सब लगे पड़े हैं अंजाने
सब बातों से अज्ञान
न बूझे न विचारे
दैनिक कार्यों से परेशान
कुछ कहे कि मोह त्याग दिया
परब्रह्म मिला है कइयों को
पर बात समझ न आए है
क्या देखा परमेश्वर को?
जो देखा तो क्यूँ न पूछ लिया
उसके घर का दरवाजा?
जैसे एक बालक खोले है
माँ बाप के दिल का दरवाजा
तुम शायद अब बतलाओगे
महसूस करो तुम स्वभीतर
भीतर जब वो बैठा है
तो बाहर ये किसका ठिकाना?

कई भाई लोग साथ आ रहे हैं, अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है। आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है। उन्नति के शिखरों में अब राज्य ह...