Monday, 13 June 2016

मानवता चहके चहुँ ओर

काश!
एक बार फिर चमन में वो फूल खिले
जिसकी खुशबू में अमन की महक हो
काश सूर्योदय फिर ऐसा हो गगन में
हर ओर प्रकाश हो, स्वच्छता दिखे
मन साफ, बैर रहित, समाजहित में कार्य हो
और मानवता चहके चहुँ ओर-
मैं अभी जीवित हूँ।

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