Saturday, 4 June 2016

क्या देखा परमेश्वर को?



धरा गगन से दिखते तारे
तारों से वो देख धरा
कहता होगा सांगी साथी से
इस प्राणी को तू देख ज़रा
सब लगे पड़े हैं अंजाने
सब बातों से अज्ञान
न बूझे न विचारे
दैनिक कार्यों से परेशान
कुछ कहे कि मोह त्याग दिया
परब्रह्म मिला है कइयों को
पर बात समझ न आए है
क्या देखा परमेश्वर को?
जो देखा तो क्यूँ न पूछ लिया
उसके घर का दरवाजा?
जैसे एक बालक खोले है
माँ बाप के दिल का दरवाजा
तुम शायद अब बतलाओगे
महसूस करो तुम स्वभीतर
भीतर जब वो बैठा है
तो बाहर ये किसका ठिकाना?

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