Saturday 7 February 2015

Poetry on Indian Secularism

 भारत देश की कहानी भारतवासी की जुबानी है
 
भारत   देश  की  कहानी  भारतवासी  की  जुबानी  है 
माँ  कहते  है  हम  इसको  ये  जन्मस्थान  हमारा  है
ये  देश  हिंदुस्तानी   को  अपने  प्राणो  से  प्यारा  है
बाँट  रहे  जो  भारत  को  अब  ये  उनकी  मनमानी  है
भारत देश  की  कहानी  भारतवासी  की  जुबानी   है
 
संकल्प  वचनो  से  नहीं  होता  ये  भारत  कर्म  प्रधान  है
हिन्दू  हो  या  मुस्लिम  हो  भारत  माँ   की  संतान  है
बंद  करो  ये  धर्मारोप  ये  बाते  उन  तक  पहुचानी  है
भारत देश  की  कहानी  भारतवासी  की  जुबानी  है

कोई  कह  रहा  मंदिर  है  किसी  ने  मस्जिद  नाम  पुकारा  है
भूल  गए  क्यों  तुम  माँ  को  बोलो  भारत  देश  हमारा  है
अगले  जन्मो  के  खातिर  क्यों  देते  इस  पल  की  क़ुरबानी  है  
भारतदेश  की  कहानी  भारतवासी  की  जुबानी  है
 
खाने  के  पड़ते  लाले  है  फैली  बेरोजगारी  है
हम  दो  और  हमारे  दो  ये  जनहित में जारी  है
दो बच्चो  के  लालन  पालन  में  माँ -बाप  ने  उम्र  गुजारी  है
फिर  क्यों  कहते  हो  चार  करो  तुम , दो  में  क्या  तुमको  परेशानी  है
कर  देंगे  चार  क्या  दस  भी  कह  दो, परवरिश  तुमको  करवानी  है
भारतदेश  की  कहानी  भारतवासी  की  जुबानी  है

जो  लोग  प्यार  को  नीलम  कर , कर  रहे  खड़ी  है  फ़ौज  यहाँ
कहते  है  बच्चे  ठोकर  उनके  तिल  तिल  मरते  है   यहाँ वहाँ
एक  दूजे  को  नीचा  दिखाना  ये  बाते  बड़ी  बचकानी  है
प्यार  से  जी  लो  दो  पल  सब  ये  बात  तुम्हे  समझानी  है
भारत देश  की  कहानी  भारतवासी  की   जुबानी  है
 
बहुत हो गया रोना मरना सपना जगद गुरु हमारा है
हम भारत की संताने है भारत माँ ने हमें पुकारा है
छोडो झगड़े और फसाद को यारी हमें निभानी है
प्यार से जी लो दो पल सब ये बात तुम्हे समझानी है
भारत देश की कहानी भारतवासी की जुबानी है

 



देश-प्रेम है मन भीतर तिरंगा प्राणो से प्यारा है
मिलकर सब आगे बढ़ते है ये परिवार हमारा है
मुस्लिम हो या हिन्दू हो हर बच्चा हिंदुस्तानी है
भारत देश की कहानी भारतवासी की जुबानी है
 


  Hem Chandra Tiwari 'MHICHA'

 










 

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