Wednesday 16 March 2016

अपने अस्तित्व को पहचानो



तुम चाहो तो मान को

अभिमान से ऊँचा उठा लो

अपने आँचल की ओट में

सब दर्द छुपा लो

हैं राह में रोड़े बहुत

आगे ना बढ़ने देंगे

विश्वास अडिग रखना

मन को ना फिरने देना

धैर्य धरने को

पदचिह्न तुम बना लो

सौगंध है सुधा की

इस यश को संभालो

हो सके अगर तो

अपने अस्तित्व को पहचानो|
BY
VARUN KUMAR MAURYA
CLASS- 11TH
LAKES INTERNATIONAL SCHOOL
BHIMTAL, UTTARAKHAND

2 comments:

  1. Nice poem brother..keep up the creative work.!!!

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