तुम चाहो तो मान को
अभिमान से ऊँचा उठा लो
अपने आँचल की ओट में
सब दर्द छुपा लो
हैं राह में रोड़े बहुत
आगे ना बढ़ने देंगे
विश्वास अडिग रखना
मन को ना फिरने देना
धैर्य धरने को
पदचिह्न तुम बना लो
सौगंध है सुधा की
इस यश को संभालो
हो सके अगर तो
अपने अस्तित्व को पहचानो|
BY
VARUN KUMAR MAURYA
CLASS- 11TH
LAKES INTERNATIONAL SCHOOL
BHIMTAL, UTTARAKHAND
Nice poem brother..keep up the creative work.!!!
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