के गुज़रा वक़्त ऐसा है जी भर रो भी न पाऊँ
न तुझको भूल ही पाऊँ, न तेरा हो ही मैं पाऊँ।
मेरे तू प्यार को समझे, अभी ये आस बाकी है
इसी उम्मीद में इस ज़िस्म में दो साँस बाकी है।
चलाये तीर जो तुमने, इस दिल को चीर ही डाला
जुड़े दो ज़िस्म और रूह, मेरा अंज़ाम बाकी है।
जमाना जल रहा है, प्यार मेरा देखकर तुझसे
चलो अच्छा है, ज़माने में मेरी पहचान बाकी है।
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