1.GOSSIP
Starts with friends or our parents
Starts with neighbour or a stranger
Starts with male or a female
Starts in bus or in a rail
Starts with a child or an adult
Starts in the park or at a halt
Starts with coffee or with a tea
Starts with dance or with a glee
Starts in dark or in a day
No matter it is April or May
We start gossip in such a way
To find a company and life to play
Every time somebody used to gossip
Like a timely melody tonic sip
It is gossip, gossip in a brief
I also used to gossip
It filters our thoughts and emotions
As a pill to remove frustration
We gossip to pass the time
Sometimes with a glass of wine
He feels so dread, gossip for his wife
Finally gossip is a part of our all’s life
2.KEDARNATH'S BLOODY FLOOD
Chanting Mantras nourishes nature
It's we who are saints
Secret places existing God
It's not for devil giants
Giants stay in the dark
so scary and evil things
Its we wo are giants
Human has two wings
We corrupt and destroy the places
Which are Heaven in the Earth
Human; enemy of humanity
It's the only pert
Nature gets rude
As we break the rules
KEDATNATH flooded
Law was broken by some fools
It's the secret place of Lord Shiva
not a picnic spot
Many evil and lusty activities
here we plot
Then it turned to an end
The Gang's flood rise
End of all creatures
who stayed aside
It's end of Humanity
As I think
They robbed the person
who were almost sink
We are greedy and selfish
having all bad things
No Mercy No Kindness
Are we Human Beings?
3.TREASURE ON EARTH
Do I know? Where's Treasure on Earth?
Is it hidden inside the rocks? or deep in the sea?
Is it inside a dark cave? And Is it for me?
Okhey! I'm going to find it
Is it Gold? or pearls? or hidden by our ancesstors?
I got everything, costly, but all bullshit.
Do you know? Where's Treasure on Earth?
Which is priceless but really worth.
Okhey! Let's come! we'll find it else somewhere
Leave these metals or unworthy stones, who cares?
Here's the Treasure on Earth it really worth...
It is here, sitting beneath a tree
O! restless man! let make you free
Yes it is here, listening the bird's sounds
Come here, let recover your ensoul wounds
Woow! what a clinking shining flowing river
Get rid of customs, release your unusual fever
Walking on the greeny meadow, watching my own shadow
It's my best buddy, now I come to know
Climbing on the rock, finally on the peak
Watching to the Sun, I'm proud like a rich
Surroundings mountain series,fresh and cold softy breeze
It's just a snowfall, little on my face
True divine happiness, now I'm full of grace
Where are you drones, you are still on the stones
Be like a bee, make yourself free
It's only Nature, Yes!!! It's only nature
I've got priceless but worthy treasure
What do you think?
Where's Treasure on Earth? Which really worth.
I know:
Here's Treasure on Earth which really worth..
4.THIRST OF LIFE
wandering for life in a sandy desert
falling to and fro, no water apart
seems to be water on the sand pit
may be there would little bit
walking more and more near to that place
dreaming I will get water splash
but diving my hand into the water pit
it hurts by the ground hit
I couldn't imagine what was going on
no greeny land only horny thorns
missing my past place I never cured
nature greeny land where I borned
Perhaps It would be not happen with me
but in search of more pleasure
now I am thirsty and alone.
5. इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा
मैं भी चलना सीख रहा इस दुनिया में
इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा
भ्रमित कर रहे लोग सभी जैसे दुनिया एक जंजाल है
हृदय हुआ पाषाण सभी का यह अब नर का कंकाल है
हसना गाना भूल गए जो अब दुःख के आंसू रोते है
मतलब की इस दुनिया में अब कौन से अपने होते है
हुआ मुख़ाबीर इस दुनिया से भौंचक होकर मैं खड़ा
जरा ठहरकर सोच- समझकर
मैं भी चलना सीख रहा इस दुनिया में इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा
चलते-चलते इस पथ पर नयनो के सम्मुख धुंध बनी
प्रेम कृपाण जो पास रखी थी इस राक्षस पर कुंद बनी
लाचार खड़ा था देख रहा था कैसी ये विपत आन पड़ी
अधम दुराचार भ्रष्ट भावना मानवता की पहचान बनी
संयम मेरा इस क्रोधाग्नि में झुलस-झुलस के चीख रहा
मूंद के आँखे इस दुनिया में
अब मैं भी चलना सीख रहा
इस दुनिया में
मैं भी चलना सीख रहा
6. आज फिर लिखने को जी करता है
क्यों आज फिर लिखने को जी करता है
पिछले पन्ने इस किताब के फिर से पड़ने को जी करता है
पर लगता है बिखरे पन्नो को समेट कर रखना भूल गया था
अब तक तो इन पन्नो से मैं, न जाने कितना ऊब गया था
पर आज जो न पाऊँ इनको, इनको जीने का जी करता है
न जाने क्यों
क्यों आज फिर लिखने को जी करता है
भूल गया मैं उस मिज़ाज को जिसको मैं जिया करता था
लेना चाहुँगा स्वाद उस रस का जिसको मैं पिया करता था
प्रेमपुष्प के अंकुर को जब बोया था मैंने उस पल
क्यों बोकर उस अंकुर को मैं, सींचना ही भूल गया
जब आज वो अंकुर बेजान पड़ा है भूधर के गर्भाशय में
मधुर सुगंध उस प्रेमपुष्प की पा जाने को जी करता है
न जाने क्यों
क्यों आज फिर लिखने को जी करता है
हत-विषाद माहौल बना है, जीवन ये लगता शापित है
खुद से ही हूँ जूझ रहा, क्यों उस दुनिया का आदी हूँ
क्यों न बहता नदियों की तरह, क्यों न अनिल सा वेगित हूँ
क्यों न प्रकाश सा वेगवान, क्यों न ज्योत सा दीपमान
क्यों न शीतल हूँ चन्द्र समान, क्यों न पाया है दिव्य ज्ञान
अंतर-आत्मा भी सोयी है, शून्य वियोम मैं खोयी है
ये सब विचार से कुंठित होकर, नवचेतन से सिंचित होकर
आगे बढ़ने को जी करता है, जीने को जी करता है
मधुमृत पिने को जी करता है
न जाने क्यों
आज फिर जीने को जी करता है ...
क्यों आज फिर लिखने को जी करता है
7. रक्त से लिपटी है धरती
रक्तसिंचित भूधरा है कांपता हर अंग है
रक्त से लिपटी है धरती लाल इसका रंग है
कुछ समय पहले यहाँ तो उड़ रही थी तितलियाँ
पर न जाने आज क्यों रो रहा ये कंठ है ...
बर्फ की छाती फटी है बह रही है धार जो
तीव्र नाद कर रही है वेग इसका मंद है
रिंस रहा है रक्त जो जननी माँ के गर्भ में
देख कर ये नरसंहार माँ की ममता दंग है ...
चील यूँ मंडरा रहे है लाशो के इन ढेर पे
चंचल मन शिथिल पड़ा है कैसा ये अचम्भ है
शुष्क ठंडी वादियों में कटती हुई पतंग है
रक्त से लिपटी धरा है लाल इसका रंग है ....
8. एक नई राह
आज सपने फिर से हुए उजागर
जैसे है नई एक राह बनी
पतझड़ की आंधी थमी अभी और
नव-जीवन की आश बनी
उज्जवल प्रकाश से भर मन को
जब उगता सूर्य प्रदीप्त हुआ
विपदा की धुंध है छँटी हुई अब
स्वर्णिम लाली है खिली-खिली
पुरापाषाण भी भव्य लग रहे
जैसे दिव्य प्राण की मूरत हो
भूधर की ओंस भी बुझी-बुझी सी
जैसे नव-चेतन की सूरत हो
नदियों का कल-कल करता स्वर भी
मृदु वीणा की तान लगी
आज सपने फिर से हुए उजागर
जैसे है नई एक राह बनी
9. कुछ लम्हे याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है
जब मैं था छोटा सा अबोध, खुले ही थे अभी शून्य कपोल
माँ की प्यार भरी पुचकार कुछ जाती थी बोल
माँ के आँचल की छाँव, वह देश वह गांव
उन दोस्तों के लतीफे हर पल याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है
बचपन के बागान में, मासूमियत के खलिहान में
जन्नत के जहाँ में, माँ-बाप की पनाह में
बीते वो हर लम्हे याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है
सूरज की तप्ति धूप से, पेड़ो से लटके आमों से
नदी के बहते पानी से, बचपन की जिंदगानी से
जुड़े हर पल याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है
घर का वह आँगन, दुकान के ऊपर मकान
स्कूल का परिसर, वो खेल का मैदान
दोस्तों के साथ बीते वो हर पल याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है
भाई -बहिनो का प्यार, मार व फटकार
पापा का दुलार, माँ की पुचकार
आज लिखता हूँ अकेला बैठा किसी कोने में खाली कमरे के
अनजान शहर में अपनों के बीच बेगाना बनकर
हर नए दिन कुछ नया सोचकर अपने दिल का फ़साना लिखकर
सोचता हूँ काश आज भी वो पल साथ होते
सोचता हूँ उन्हें हर पल, जो हर पल याद आते है
साँसों में धड़कते है, शरीर में बहते है
दिल में रहते है, आंसुओ में छलकते है
वो पल जो हर पल याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है
कुछ लम्हे याद आते है ....
10. देखो जनाज़ा मेरा
देखो जनाज़ा मेरा
जमघट लगा है लोगो का
देखो जनाज़ा मेरा
घाट किनारे अमूक खड़े है
लकड़ी चन्दन हाथ लिए
फूल पड़े है कपडा-लत्ता
कई फूलो की माल लिए
सगे सम्बन्धी बिलख रहे है, नम आँखे है संसार की
जा रहा मैं इस दुनिया से, फ़िक्र नही घर बार की
देखो जनाज़ा मेरा
मौन पड़ी है माँ की ममता
रो-रो कर आँखे लाल हुई
देखकर शव अपने सपूत का
माँ की छाती बेहाल हुई
प्रौंढ़ के कंधो में, अब तो ना वो जान थी
देख के शव अपने सपूत का उसकी काया बेजान थी
देखो जनाज़ा मेरा
बिलख रही है छोटी गुड़िया
उस घर के आँगन पर
नारी भी लाचार खड़ी है
सुहाग न रहा उसके सर
माँ तुम गर्व से कहना, तेरा लाल, बेटा है धरती का
प्रिये माफ़ करना मुझको और शोक न करना अर्थी का
रणवेदी पर मरने का मुझको ऐसा गौरव प्राप्त हुआ
मरते मरते मुझको बस इतना सा पश्चाताप हुआ
वीर सुपूत हूँ इस देश का जीता नहीं फरेबी पर
एक ही चिंता रहती थी दिन-रात मुझे आठों पहर
कैसे लड़ता उन दुश्मन से जो बैठे अपने घर भीतर
देखो जनाज़ा मेरा
11. बड़ी नादान सी है ,ये जिंदगी
ये जिंदगी
बड़ी नादान सी है
ये जिंदगी
रुख़्सत किया अजनबियों को जिंदगी से
आज हमने अपनों की महफ़िल सजाई है
कुछो ने नजरें मिलाई, नजर से नजर मिलकर
तो न जाने कितनो ने हमसे नजरे चुराई है
खिलाफत के इस दौर में सभी अनजान से लगते है
रातों के सन्नाटे भी अब शमशान से लगते है
परछाई साथ है मेरे जरूर ये दिन का उजाला है
वरना हम तो खुद को ही गुमनाम से लगते है
व्यस्त जीवन की भाग दौड़ है ये
लगता है जल्दबाजी में वो छूट गया
जिसने हमको हंसाया था वही हमसे रूठ गया
जिसको पाने चले थे हम न जाने वो मिला या नहीं
पर जो पास था अपने उसको तो हमने खो दिया
'दीवाना' न समझना बात ये आसान सी है
कभी हंसती-खेलती हुआ करती थी
दिन-रात खिलखिलाती, गुनगुनाती, मचलती
खुशियाँ बांटती हुआ करती थी
आज ये खुद में ही परेशान सी है
ये जिंदगी
बड़ी नादान सी है
ये जिंदगी
12. तू ही राह मेरी अब तू ही मेरा दिन
(एक गीत प्यार के नाम)
है ये आसान नहीं अब जीना तेरे बिन
तू ही राह मेरी अब तू ही मेरा दिन
जज्बात मेरे है कह रहे
हमराह मेरे तू साथ मेरे .... चल
ये डगर है सुहानी साथ तेरे
जी लू जिंदगानी साथ तेरे
मेरे हमराही साथ मेरे चल... मेरे हमराही साथ मेरे चल
है ये आसान नहीं अब जीना तेरे बिन
तू ही राह मेरी अब तू ही मेरा दिन
ख्वाबो में तू है कह रही
हर साँस में तू, तू ही तू ही ..... मिल
सुन रही मेरी बाते है चाह मेरी
रख ले मोहब्बत तू बेपनाह मेरी
मेरे हमराही राह मेरी बन .... मेरे हमराही राह मेरी बन
है ये आसान नहीं अब जीना तेरे बिन
तू ही राह मेरी अब तू ही मेरा दिन
तुमसे कभी न हम जुदा
तू मेरी रहे, मेरी ख़ुदा .... बन
तुमसे शिकायत ये मैं कर रहा
तुमसे मिलने को आँहें भर रहा
मेरे हमराही आके मुझे मिल .... मेरे हमराही आके मुझे मिल
है ये आसान नहीं अब जीना तेरे बिन
तू ही राह मेरी अब तू ही मेरा दिन
13. तू अनजाने तू अनजाने
जिंदगी का सार न जाने तू अनजाने तू अनजाने
फिर क्यों ऐसे हार है माने तू अनजाने तू अनजाने
सुख की चांदी जाती रहेगी गम की आंधी आती रहेगी
नए पल की शुरुआत न जाने तू अनजाने तू अनजाने
जिंदगी का सार न जाने तू अनजाने तू अनजाने
फिर क्यों ऐसे हार है माने तू अनजाने तू अनजाने
इस पल जो भी पा न सका तू सपने सच जो बना न सका तू
इसके पीछे का राज न जाने तू अनजाने तू अनजाने
जिंदगी का सार न जाने तू अनजाने तू अनजाने
फिर क्यों ऐसे हार है माने तू अनजाने तू अनजाने
जिसको अपना बना न सका तू जिसके दिल में समां न सका तू
वो तेरी परवाह क्या जाने तू अनजाने तू अनजाने
जिंदगी का सार न जाने तू अनजाने तू अनजाने
फिर क्यों ऐसे हार है माने तू अनजाने तू अनजाने
तेरे मन जो ज्योत जागेगी गम की चादर वही फटेगी
अपने मन का विश्वास न जाने तू अनजाने तू अनजाने
गम की आंधी जाती रहेगी ओ अनजाने ओ अनजाने
सुख की चांदी आती रहेगी ओ अनजाने ओ अनजाने
जिंदगी का सार न जाने तू अनजाने तू अनजाने
फिर क्यों ऐसे हार है माने तू अनजाने तू अनजाने
14. प्रार्थना
क्या होगा मेरी तकदीर में हे ईश्वर मुझे तू बता दे
मेरे अरमान मेरे ये सपने इनको तू हकीकत बना दे
मैं गुमनाम जिंदगी में चलता ही जा रहा हूँ
जो काम करना है मुझको वो करता ही जा रहा हूँ
चारो दिशा से संवार के जिंदगी को
उगता सूरज ख़ुशी का बना दे
क्या होगा मेरी तकदीर में हे ईश्वर मुझे तू बता दे
मेरे अरमान मेरे ये सपने इनको तू हकीकत बना दे
चाहता हूँ वो बनना सितारा
जैसे मिल जाए तिनके को सहारा
जग को रोशन करे जो हमेशा
जलता दीपक तू मुझको बना दे
क्या होगा मेरी तकदीर में हे ईश्वर मुझे तू बता दे
मेरे अरमान मेरे ये सपने इनको तू हकीकत बना दे
15. END OF THE WORLD
Born in a wonder land, opened his eyes
Crying, smiling and giving various postures
ruled everyone's heart,
a little baby born in a wonder land
The land of emotions, affections, blessings
mercy, love and happiness
Baby-innocent-baby grew to be a man
master of money and power and too proud
his innocence, the thing he lost in his journey
a pure heart turned into an evil's maelstrom
goodness sank, never arose
wonder planet lost its soul
Four universally cried
We were murderers of humanity
destroyed ourselves
frozen hearts, shambles of humanity
called human being
Deity, creator of the world ashamed on
never wished to ruin his world, devastated
the world of jealousy, cruelty, conspiracy, anger
the world of killers, rapists, hypocrites and monsters
It was end of the world
16. कैसे कह दूँ
कैसे कह दूँ ये रात अपनी है
कैसे कह दूँ ये दिन अपना है
धड़कता है सिर्फ तेरे लिए, फिर
कैसे कह दूँ ये दिल अपना है
कभी सपनो में मुलाकात हुआ करती थी
कमबख्त अब तो न नींद है न कोई सपना है
अकेले बैठ कर भी सोचूँ तुझे हर पल
फिर कैसे कह दूँ ये लम्हा अपना है
जमीन की गहराईयों में आकाश के खालीपन में
जो मेरी आवाज कहीं खो सी जाती है
तेरा ही नाम निकलता है लफ्ज़ बनकर, फिर
कैसे कह दूँ ये अलफ़ाज़ अपना है
उम्मीदें ख़त्म भी हुई तो मुकाम-ए-दिल्लगी पर
जिसे चाहा खुदा से बढ़कर पूरी जिंदगी भर
संजोये ख्वाब थे उसने दिल में अपने यार के
कैसे कह दूँ यही वो यार अपना है
खिलाया फूल जो मैंने पलक की सेज पर अपने
ज़माने भर में खुशबू बांटता वो रोज रहता है
तोड़ ले जायेगा उसको कोई अपने घर की चौखट पर
कैसे कह दूँ कभी खिलाया था वो फूल अपना है
इन गलियों में जितने देखता हूँ लोग चलते में
तेरी ही शक्ल दिखती है उन तमाम चेहरों में
मिले है गम इन्हें देखूँ जो रोज जिंदगी में, फिर
कैसे कह दूँ तू मेरी है तू पुराना प्यार अपना है
17. Dreaming of you
Dreaming of you
Every time every day
In my whole life
I’m dreaming of you
On my left side
Walking in the street
Staring on you
I’m staring on you
Your pinky lips utter the song of love
Your long golden hair, feel me shade of love
Your deep talking eyes says every time to me
That
Feel me my boy, sit on your knee
And say you love me
Never had I asked you to be with me
Pumping inside my heart
Veins almost to burst
Feeling in whole my soul
Is it love or just a misconception?
I couldn’t escape, days passed one by one
A day
A day longer than a year
A year longer than an era
I came to know
It was you
The only girl who realize me
Why I’m here in this world
That is you
I’m here to care for
I’m here to loyal for
I’m here to be friend of you
I’m here to love you
Only you
I’m dreaming of you
Every time every day
In my whole life
I’m dreaming of you
On my left side
Walking in the street
Staring on you
I’m staring on you
I’m dreaming of you
I’m dreaming of you
18. तू जान ले इतना कहीं भगवान भी है
कड़कती धूप भी है कहीं पर छाँव भी है
कहीं वीरान सी धरती बसे कहीं गांव भी है
चमकती सूर्य की किरणों से खिलखिलाता समंदर भी है
डूबे है कई लोग जिनपे नाव भी है
ठिठुरती ठण्ड है तो कही धधकती आग भी है
बने परछाइयों से वक़्त की पहचान भी है
भले तू चाह ले कितना समझना जानना इसको
भले तू जान ले लिखावट पढ़ ले पूरी पुस्तक को
बदल दे तेरे होने के दावे इस दुनिया में आने के
खिलाफत कर बगावत कर या चाहे बन जा सिकंदर तू
तू जान ले इतना कहीं भगवान भी है
तूने नाप ली धरती तो आसमान अब भी बाकी है
उसके वजूद को झुठलाने का तेरा सपना अब भी बाकी है
तुही है धर्म का रक्षक तुही पापो का सागर है
तुझी में बस रहा इंसान तुझी में हैवान भी है
ये मायाजाल दो तरफ़ा है जो देखे वो दिखायेगा
चाहे निकलना बाहर तू धंसता ही जायेगा
दिखे है चार क़दमों की दूरी पर तेरी मंज़िल की राहें जो
वही रेत में धंसते तेरे दो पाँव भी है
मिले जो वक़्त थोड़ा सोचे बैठ ये छोटी सी दुनिया
यही तो राह है तेरी यही तेरी मंजिल भी है
यही नफरत की आंधी है तो प्यार का साहिल भी है
यही चलना संभलकर है तुझे यही भटकना भी है
कही सर झुकाना है तो कही झपटना भी है
ये अन्धो की दुनिया है जो आँख वाले हैं
ये बहरों की दुनिया है जो कान वाले हैं
कुछो में बख़्शी है ताकत नेकी की उस बनाने वाले ने
तभी भगवान कहलाने वाले कई इंसान भी हैं
19. सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी कहा या ना कहा बहुत सी बातें है मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
ये समय यूँ ही निकल गया और प्यार और बढ़ता गया मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
सुनाई दे रहे हो अलफ़ाज़ अगर , अलफ़ाज़ की शक्ल में दिल का हाल है मेरा
जो मैं गा रहा हूँ सिर्फ
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी कहा या ना कहा बहुत सी बातें है मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
तेरी ये चाह ऐसी है जिगर में जागती रहती
मिले तो आँख जब तुमसे तो वो मुझसे है ये कहती ,
झपकने ना दूंगी पलके तेरा दीदार बाकी है
रात भी जाग के कटती है , उजाले में भी तकती है
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी कहा या ना कहा बहुत सी बातें है मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
दिल जो तबसे अपना था , मेरे जिस्म में जो रहता था
वो दौड़ा जाता है मिलने को , परेशान रहता है
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी कहा या ना कहा बहुत सी बातें है मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
लिखू क्या सोच कर बैठा ये इजहार है मेरा
लफ्जो में बयां ना हो सके वो प्यार है मेरा
दिलो की बात गर दिल जान जाये सिर्फ कहने से
तो में सौ बार तुझसे कह सकूँ तू प्यार है मेरा
हमेशा रोज सपनो में इंतजार किया मैंने
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी कहा या ना कहा बहुत सी बातें है मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
मुझे अपना ले जैसे तुझमे ही बसता रहा हूँ मैं
मेरी तू ज़ुस्तज़ू है शान से कहता रहा हूँ मैं
संभाला जा रहा ना मुझसे दिल का हाल ऐसा है
दीवानेपन में मुझसे ही बगावत कर रहा है ये
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी कहा या ना कहा बहुत सी बातें है मेरे दिल में
तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए
20. LOVE SONG
You only you
Live in solemn heart of mine
Promise I promise
I would never let you lose
The holy love, I do
Tell me
How you will come to know
My love for you is true
Can I sing a song for you?
Can I shout your name loud?
Can I breathe your breaths?
Can I roam surround you?
I say
Baby I love you more than
Anyone can do
Tell me
How you will come to know
My love for you is true
I want to catch you again
Want to dance in the rain
Kiss your lips my whole life
Come on play it again
We will live together
I’ll make you happy never bother
You are my life my darling my love
You are my charm my wish my love
Tell me
How you will come to know
My love for you is true
Can I dream you in my sleep?
Can I see you in the day?
Can I ask you for a ride?
In the full moon night
Can I inscribe the name of love?
The name 'Love' on my heart
Come to me O! My life
Tell me
How you will come to know
My love for you is true
21. बोलो भी कब बोलोगे
बोलो भी कब बोलोगे
गहन निद्रा को त्याग कर बंद आँख कब खोलोगे
बोलो भी कब बोलोगे
कहा चार है दो तुम भी कह दो निंदा नहीं प्यार के बोल
दूजे की निंदा छोड़ो भी अब अपने को कब तोलोगे
बोलो भी कब बोलोगे
तू भी मुसाफिर मैं भी मुसाफिर एक ही राह है मंजिल एक
साथ चलो सब मिल जुलकर बोझिल बेड़ियाँ कब तोड़ोगे
बोलो भी कब बोलोगे
मैं हिन्दू तू मुस्लिम कहता धर्मो का करते गुणगान
कोई गा रहा मौला -मौला कोई जप रहा राम- राम
ऊपर वाले से प्रीत लगाई आपस में दिल कब जोड़ोगे
बोलो भी कब बोलोगे
धर्म की सीख का पाठ पड़ा है फिर भी दुश्मन क्यों आपस में
क्या प्रेम का कोई पाठ नहीं दोनों धर्मो के सिलेबस में
या तो नहीं अच्छे हम विद्यार्थी, या शिक्षा अभी अधूरी है
धर्म ज्ञान की सीखो को अपनाना भी जरुरी है
झूठा घमंड क्यों खुद पर इतना व्यर्थ घमंड कब तोड़ोगे
बोलो भी कब बोलोगे
तू भी इंसान मैं भी इंसान क्या तेरा है क्या मेरा है
प्यार से जी लो इन चंद दिनों को यहीं जनम-जनम का फेरा है
जो प्यार न भावे मन को तेरे तो कर ले अपनी मनमानी
कर धर्म की बातें व्यर्थ अनर्गल फिर न किसी बात की हैरानी
लड़ो-मरो और खून बहाओ यहीं तो धर्म हमें सिखलाता है
यहीं तो तेरा कर्म यहाँ पर जिस पर तू इतना इतराता है
तभी हो सार्थक जन्म हमारा धर्म का होगा जय-जयकार
पर उसको जवाब भी देना होगा जो बैठा इस दुनिया के पार
रो- रो कहता संतानो से इन झगड़ो से मुह कब मोड़ोगे
बोलो भी कब बोलोगे
22. NILKANTH
Four universally burning as flame
Thundering across the reddish sky
All the gods, humans and demons
Frightened and unaware of the consequences
Continued churning the big giant sea
They were tempted
For a jackpot, unfortunately it was not
But the holocaust, naked toxin appeared
The wind seemed to be toxic
Begging for their lives, all were looking for auspice
Were in need for a savior
Who was? None knew
All screaming, falling and dying
A saint appeared behind the toxic mist
Strange personality, awkward but
Assurance of keeping alive
Resonant lift
Om Namah Shivay Om Namah shivay
Divine man swallowed the poison
Held in throat, called Nilkanth
The world again survived
Universally echoing
Om Namah Shivay Om Namah Shivay
23. कोई समझता नहीं कोई समझाना नहीं चाहता
कोई मानता नहीं कोई मनाना नहीं चाहता
कोई समझता नहीं कोई समझाना नहीं चाहता
पूरी दुनिया खड़ी है तबाही के मंजर पर
कोई रुकता नहीं कोई रूकाना नहीं चाहता
पहले भी देखे हैं बहुत से शहर तबाह होते
मिली है सिर्फ मात ही इस नफरत की जंग में
प्यार की ताकत से जीती जा सकती थी जंग
पर क्या करें कोई जीतता नहीं कोई जिताना नहीं चाहता
किसी ने खोएं हैं बेटे किसी की रो रही ममता
किसी के अश्रु टूटे हैं कोई बहाना नहीं चाहता
कहीं तो जल रही इंसानियत नफरत की आग में
कोई बचता नहीं कोई बचाना नहीं चाहता
फिर भी पलट के देखो इतिहास के पन्नो को
जहाँ नफरत की आंधी चली , वहां फिर बसेरा न हुआ
बुझ गए चिराग लौ भी तिलमिला उठी
एक रात ऐसी भी आई फिर सवेरा न हुआ
बना इंसान , दिल से पत्थर , हैवान कर्मो से
कोई चाहे छिपता नहीं कोई छिपाना नहीं चाहता
24. सूना है आँगन प्यार का
आज फिर मौसम बदल रहा
आगाज़ है रुसवाइयों का
शाम -ए -महफ़िल ख़त्म हुई
साथ है तन्हाइयों का
बिखरे बहार के पत्ते भी
वो फूल भी मुरझा गए
तू छोड़कर चली गयी
सूना है आँगन प्यार का
जो प्यार की लहर उठी थी
थम सी गयी किनारों में
मैं प्यासा बेसुध पड़ा
तेरे उन्ही ख्यालों में
वो चाँद ना आया फिर मिलने
काले बादल ने घेर लिया
एक तू ही दिलदार थी
क्यों मुझसे मुँह फिर फेर लिया
मस्त हवा के झोंके भी
पथ भूल गए संसार का
तू रूठ कर चली गयी
सूना है आँगन प्यार का
25. सरहदें
सरहदें
ये बेजुबान सरहदें
कह जाती हैं बहुत सी बातें
अनचाही, अनकही
वो बातें
जो बाँट जाती हैं जमीन और आसमान
लकीरें खींचती हुई पहाड़ो से गुजरती हुई
नदियों के पानी को बांटती हुई
धरती माँ के गर्भ को चीर जाती हैं
सरहदें
ये बेजुबान सरहदें|
कुछ तो बात होगी इसकी बातों में
जो बातों ही बातों में
लोगो की बातों का मतलब बदल देती हैं
मानव हृदय को भेदकर
प्यार के बीज सुखाकर
नफ़रत के बीज बो जाती हैं
सरहदें
ये बेजुबान सरहदें|
काश!
मैं भी बोल पाता इन सरहदों की भाषा
तो नफरत नहीं प्यार बांटता
दिलों को दिलों से जोड़ता
इन सरहदों को ही मिटा देता
सोचता हूँ, जब ये सरहदें
बदल सकती हैं इंसानियत का मतलब
तो मैं भी तो बदल सकता हूँ
इन सरहदों का मतलब
आख़िरकार ये सरहदें
बेजुबान ही तो हैं
काश!
मिट जाएँ ये सरहदें
ये बेजुबान सरहदें|
26. श्याम नाम का ज्ञान
ता ता थैया धिनक धिनक धिन
पंख पसारे मोर ने
चितवन में आकर चित्त चुराया
श्याम मनोहर चोर ने
राधा रानी व्याकुल बैठी
कुञ्ज गली की ओढ़ पर
श्याम मुरारी मिलन न आये
न रात्रि साँझ न भोर पर
रूठी राधा मन कुंठित करके
ये प्रेम राग की तान थी
कान्हा की कोई खबर न आई
राधा रानी परेशान थी
सब जग ढूंढा सब जग खोजा
पग पग राह निहारे
अब तो आजा मेरे गिरधारी
मुरली महोहर वाले
कभी इस पल दौड़े कड़ी धूप में
कभी प्रेम अश्रु बहाये
राधा रानी के सौ जतन पर
कृष्ण न मिलने आये
हुई हताश तो बैठी छण भर
दिल में प्रेम अलख जगाई
रोम -रोम से नेत्र मूँद कर
कान्हा की रटन लगायी
प्रकट हुए वो पल भर में
राधे के अंश्रु पोछे
क्यों न आये मिलने मुझसे
राधा रो -रो पूछे
मैं तुम्हे ढूंढने मेरे कान्हा
वन -वन खोजन आई
रो -रो कर राधिका रानी ने
पूरी बात बताई
भरे मुस्कान होठो पर
मोहन मंद मंद मुस्काये
हाथ बढाकर राधा रानी को
पल भर में गले लगाये
बोले राधे भोली हो तुम
थोड़ी सी अपट अनाड़ी
मैं तो तेरे दिल के कोने में
क्यों ढूंढे बाड़ी बाड़ी
तेरे नैनो की छाँव में राधे
मैं अपनी रात गुजारु
तेरे मन के इस द्वार से पगली
मैं तुझको रोज निहारु
राधे मैं कण -कण बसता हूँ
घर घर में मेरा डेरा
मुझसे ही चलता काल चक्र
मुझसे ही साँझ सवेरा
मैं बसता हूँ हर मन -मंदिर में
प्राणी प्राणी के वेश में
मैं तुझमे तू मुझमे बसती
तू क्यों ढूंढे परिवेश में
फिर काहे तू रोवे राधे
फिर काहे तू शोक मनावे
पल भर में मिल जाऊंगा
जो तू कान्हा कान्हा गावे
पल भर में मिल जाऊंगा
जो तू कान्हा कान्हा गावे
सुन राधा हर्षित भई श्याम नाम का ज्ञान |
रेट आलाप आठो पहर गूंजे चारो धाम ||
प्रेम दीप की ज्योत से श्याम तुम्हारे होए |
कष्ट निवारे सब जन के जो प्रेमांकुर को बोये ||
27. आखरी सलाम कलाम के नाम
क्षुब्ध हुआ है देश कही कुछ खो गया है
वीर सपूत जो गहन नींद में सो गया है
ह्रदय विदारक पीड़ा देकर मन के सूने गलियारों में
छोड़ गया संसार हमारा बस गया चाँद सितारों में
अजब तेरा है त्याग गजब है योगदान तेरे ज्ञान का
अपनी खोजो से बदल दिया है तूने ढांचा विज्ञान का
देश को अर्पित तन मन जीवन तूने सच्चा धर्म निभाया है
ए भारत के करम रत्न तुझे हमने शीश झुकाया है
जटिल परिस्तिथि कठिन परिश्रम, पर नियमन उच्च विचारो का
संयम, प्रेरणा और नैतिकता, प्रतिफल है सुसंस्कारों का
धन्य भाग इस भारत के जो तुझ सपूत ने जनम लिया
सद्भाव, निष्ठां और देशभक्ति से तूने राष्ट्रहित में करम किया
अग्नि, नाग, आकाश, पृथ्वी से शान बड़ाई भारत की
सरल जीवन के आदर्शवादी तू मूरत है परमारथ की
भारत माँ के वीर सपूत तुझे पूजू फूलो के हार से
आज अमर कलाम देश का चल दिया नश्वर संसार से
अम्बर के अंश्रु धोते धरती विमुख हुई श्रृंगार से
आज अमर कलाम देश का चल दिया नश्वर संसार से
28. THE CHILD BEGGER: A SURVIVER
Look at my eyes, these can't lie
I'm not begging but surviving
I don't wash my hair, you do with shampoo
I don't wash my face, you do with costly face wash
I don't smile, don't laugh, but you do looking at me
I don't misbehave but yoy do
I don't because I'm only surviving
No happiness, no sorrow, but only hunger
Look at my torn clothes, I used to wear it
I can't buy these costly stuffs, but you do
I don't have any footware, but you do
You show pity on me, seeing me on footpath
Some of you give me food but not enough
Some of you give me haterates, I accept
Because it's only you can give to society
Your harsh nature
That's why I'm here in footpath, my destiny, but you made it
Left me out on my birth
You made me beg for surviving
It's not my fault, you did it but you can't accept, Alas!!!!
I want my place in society, my birth rights
One of you gave me birth and left behind
Everyone talk about me, not to beg, but never say:
Lets come my child, I'm here to nourish you.
I want love and care from a family
I'm hungry but eager to meet you
My becoming guardians, I ask you
CAN YOU ADOPT ME?
I'm about to die in this selfish world
I'm asking you but not begging
Because I'm only surviving
29. ON THAT DAY
The beautiful valley
I visited an evening, a rainy day
Foggy air made me blind
The chilled and sweet odour from plants
Made me drugged filled with love towards
The peak of the hill which I saw, passing the valley
I wished to climb the fountain falling down from the hill
And to reach the peak, nonsense!!!!
I was tired and exhausted but excited to be there
I started towards the hill
Climbing and crawling on stones and mud
I reached at the top, giant green meadow
And a dead end, I saw another world from there
The faded sun but no sky, only dark clouds
Were choking the throat of the sun
He was struggling to be alive, I felt pity for him
I went into a foggy storm, became blind
But still walking, the storm passed away
I saw the sun shining and smiling, defeated the clouds and fog
Became reddish yellow, blinking his eyes, said good bye to me
I waved my hands and thanked him to be there for a company
Now we are friends and I often go there to see him
30. लेना देना तो उसूल है जिंदगी का
लेना देना तो उसूल है जिंदगी का
मेरा इज़ेहर था तो उसका इनकार था
यूँ कहूँ कि एक तरफ़ा प्यार था
एक अजनबी जब अपना हो जाए
वही हक़ीकत वही सपना हो जाए
तो दौर शुरू होता है दिल्लगी का
लेना देना तो उसूल है जिंदगी का
मैने प्यार दिया अपना
उसने नफ़रत की सौगात दी
मैने नींद उसे सौंप दी
उसने ख्वाबो की बरसात की
असलियत में जो दिया
उसने सिर्फ़ आलम बेबसी का
लेना देना तो उसूल है जिंदगी का
मैने दिल जो उसको दिया
उसने जख़्मो से भर दिया
मेरी सांसो में उसका नाम था
उसने यादों से रुखसत किया
खुशी के पल दिए मैने उसे
उसने उपहार दिया फरेबी का
लेना देना तो उसूल है जिंदगी का
31. जिनमें तू बसीहै और बसीहैं तेरी यादें
समेट कर उन लम्हों को सहेज लूँ दिल में
जिनमें तू बसी है और बसी हैं तेरी यादें
तेरी हर बात जो लिखी किन्हीं कोरे पन्नों पर
समेट कर उन पन्नों को छुपा लूँ अपनी बाहों में
जिनमें तू बसी है और बसी हैं तेरी यादें|
लफ़्ज़ों को समेट लूँ और समा लूँ अपने कानों में
जिनमें मेरा इज़हार और तेरा इनकार रहा
रोक लूँ उन आँसुओं को जो दिन-रात गिरे, तुझे पाने को
तन्हाइयों में जो मेरा यार रहा
मुक़द्दर की किताब के पन्नों में एक पन्ना और लिख लूँ
जिसमें तू ही तू हो, तेरा साथ हो और तेरा प्यार हो
तेरे प्यार के गीत सुनाऊं महफ़िल में
जिनमें तू बसी है और बसी हैं तेरी यादें|
32. हमारी सच्ची खुशियाँ
अनंत प्रकाश, उज्ज्वल और तीव्र, दृश्यमान करता है-संसार को|
जो रात के अंधेरों में कहीं खो सा जाता है|
पर-
जीवन को देखने और समझने के लिए अंतर्मन की एक किरण ही पर्याप्त है|
समय बांधता नहीं, समय साधता है- प्रयासों को|
समय पर, समयानुसार किए जाने वाले कर्म जीवन का मूल आधार हैं
और मार्ग है उस शिखर पर पहुँचने का, जिस शिखर पर हर कोई पहुँचना चाहता है|
सहज कुछ भी नहीं होता, हमें खोजना होता है- वह पथ|
जो मिलाता है- हमें-हमसे
जो हमें हमारे सपनों की ओर अग्रसर करता है|
वे स्वप्न जिन पर हम विश्वास करते हैं
और जिन्हें हम अनुभव करते हैं
जिसे हम जीते हैं- हर सांस में, हर पल, हर क्षण
पर आवश्यकता है उस किरण को देखने की और महसूस करने की
जो अंतर्मन से उठकर चलती हैं
और हमें खुशियों का आभास करती है
हमारी सच्ची खुशियाँ
जिसे हमने कभी चाहा है और आख़िरी दिन तक चाहते रहेंगे|
33. मिलती हैं मेरी राहें तेरी राहों में
पाऊ खुद को तेरी पनाहों में
मिलती हैं मेरी राहें तेरी राहों में
ये इश्क़ ना होता तो फिर दिल क्यू है रोता
जो प्यार ना होता तो इज़हार क्यू होता
तुझसे मिलने को में बेकरार होता हूँ
जो बात ना हो पाए परेशान होता हूँ
जादू सा कर डाला तेरी अदाओं ने
मिलती हैं मेरी राहें तेरी राहों में
तेरी मीठी बातें कानो में रस घोले
तेरी एक हसी से तो ये दिल अपना गम भूले
जब दिन निकलता है तू सामने होती है
रातो को भी सपनो में मेरे साथ होती है
तुझको ही पाया है मैने फ़िज़ाओं में
मिलती हैं मेरी राहें तेरी राहों में
ये गीत नही शायद इज़हार है मेरा
दुनिया से कह डाला तू प्यार है मेरा
तेरा जिंदगी में आना इकरार है तेरा
तुझमे ही जिंदा मैं, तू संसार है मेरा
याद रखे दुनिया हमको अफ़सानो में
मिलती हैं मेरी राहें तेरी राहों में
पाऊ खुद को तेरी पनाहों में
मिलती हैं मेरी राहें तेरी राहों में
34. दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
किसी को रात तो किसी को दिन किया
किसी के सर के उपर छत नहीं तो किसी को महल दिया
कोई धनवान ठुकरा देता है छप्पन भोग
तो किसी को निवाले-निवाले को मोहताज़ किया
ए- दुनिया बनाना वाले तू इतना बता
ये दुनिया बनाने की वजह क्या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
कहीं हरा-भरा मैदान तो कहीं सूखा किया
जिन्हें भेजा इस संसार में उन्हे क्यूँ भूखा किया
कुछ को शान से रहते देखा है अपने- अपने घरों में
तो किसी पे रात गुज़ारने की पनाह ना थी
ए- दुनिया बनाना वाले तू इतना बता
ये दुनिया बनाने की वजह क्या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
स्वप्निल प्रदेश के गर्भ में आकाश की नीली चादर ओढ़े
देखा है अबोध यहाँ, थोड़े दूध को चिल्लाता है
इंसान को इंसान की फिकर नहीं झूठे दम पर इतरता है
जनने वाली माँ रूठ गयी पर उस अबोध की खता क्या थी
उसे क्यूँ भेजा इस दुनिया में जब उसकी चिंता ना थी
ए- दुनिया बनाना वाले तू इतना बता
ये दुनिया बनाने की वजह क्या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
35. दिल्ली का सब्जी बाज़ार
हर बुधवार में, रोज शाम, दिल्ली का सब्जी बाज़ार
दाएँ हाथ संग बाएँ हाथ भी, लगा दिल्ली का सब्जी बाज़ार
बीच सड़क पर चलते लोग, धक्का – मुक्की और मंद चाल
पूछ- पूछ आगे बढ़ते, आलू, भिंडी और प्याज के दाम
यहीं लड़ते दिखते हैं धनवान दो पैसों का करते मोल
दुकानदार कुछ पैसे पाने को रखता सब्जी सोने की तोल
नारी दिखती आनन-फानन में, कुछ ताज़ी सभी पाने को
वहीं कुछ खरीदें कॅट्पीससब्जियाँ, मासखर्च बचाने को
हफ्ते भर की ले लूँ भाजी, फिर अगले हफ्ते ये बाज़ार लगेगा
कहते हुए बोली एक महिला.” भैया ये कटहल कितने में देगा?”
“ चालीस के भाव से अच्छा है फूलगोभी ही ले लूँगी
पर भैया मैं बीस नही बस पंद्रह इसके दूँगी”
“ नहीं बेहन जी महँगाई है, शाक उपज नहीं है
धनिया-मिर्ची भी डाले देता हूँ बस दाम सिर्फ़ वही है”
मोल भाव कर उठाया थैला और कंधे पर लटकाया
सोच समझकर चतुराई से नारी ने सौ का नोट बढ़ाया
“अरे बहना! छुट्टा देदो; मैं छुट्टा कहाँ से दूँगा?
छुट्टा लाने बैठा तो ,ये भाजी कैसे बेचुँगा?”
“कहीं से लाकर देदो भैया, छुट्टा मेरे पास नहीं हैं
या एक किलो बांधो कटहल पर तीस का दाम सही है
और साथ में बांधो दो किलो आलू और एक किलो प्याज भी तोलो
कितना होता है जोड़ लगाओ और थोड़ा ठीक दाम भी बोलो”
“बीस की गोभी, तीस का कटहल और आलू का तीस लगाया
पच्चीस का प्याज भी डाला तो एक सौ पाँच जोड़कर आया”
फिर पाँच रुपये देने को नारी ने दूसरा सौ का नोट बदाया
“बाद में ले लूँगा बहनजी” कहकर दुकानदार ने, थैला उसको पकड़ाया|
ऊफ्फ!! आज ना जाने सुनसान गली में क्यूँ हाहाकार मचा है
बुधवार आज सड़क किनारे सब्जी बाजार सज़ा है|
बुधवार आज सड़क किनारे सब्जी बाजार सज़ा है|
36. ए- प्यार करने वाले तू इतना प्यार ना कर
मैं कहता हूँ, रोज सहता हूँ
तिल-तिल मरता हूँ, रुसवाई से डरता हूँ
तू सुनती है, इतराती है,
फिर मुँह फेरकर चली जाती है
मैं जानता हूँ इश्क़ पहचानता हू,
तू कहती पराया मैं अपना मानता हू
तू हँसती है, खिलखिलती है,
अगले ही पल दूर चली जाती है
मैं फिर आवाज़ देता हूँ तुझे रुकने को कहता हूँ
तू मुड़ के देखती है, मैं तुझको देखता हूँ
तू चेहरे से जुल्फे हटाती है, आँखे झुकाती है
कुछ कहे बिना ही वापस मुड़ जाती है
मैं दौड़कर तेरे पास आता हूँ
दिल पे हाथ रख दिल का हाल सुनाता हूँ
तू धड़कनो को महसूस करती है
अपनी हसरातों को अंदर महफूस रखती है
मैं तेरा हाथ पकड़कर इज़हार करता हूँ
तू प्यार से देखती है पर इनकार करती है
मैं फिर कहता हूँ तू फिर सुनती है
छुड़ा कर हाथ पीछे मुड़ती है
मैं उदास होता हूँ तू आगे बढ़ती है
पर जाते जाते एक लफ्ज़ कहती है
“ए- प्यार करने वाले तू इतना प्यार ना कर
मैं हवा हू बहना काम है मेरा
कब तूफान ला दूं यही अंज़ाम है तेरा
तू मेरी खातिर ज़िंदगी बर्बाद ना कर
ए- प्यार करने वाले तू इतना प्यार ना कर
मेरी हा कहने से ये इश्क़ मुकम्मल ना होगा
ये दुनिया का जहर प्यार के लिए कभी कम ना होगा
तेरी हसरतें भले ही मुझ पर आकर पूरी होती हो
जब लड़ना पड़े दुनिया से तू यहा कल ना होगा
मैं तुझे दोष दूं तू मुझे दोष देगा
कोई बेगैरत तो कोई बेवफा होगा
अंज़ाम इश्क़ का इस जहाँ में सभी जानते हैं
ये रात ऐसी है कभी सवेरा ना होगा
तू कर मोहब्बत में तेरे ज़ज्बात की कदर करती हूँ
तुझपे भरोसा है पर जालिम दुनिया से डरती हूँ
कभी धर्म कभी जाती के ये तीर छोड़ेंगे
ज़ख़्मों से नही मैं फासलों से डरती हूँ|”
37. स्वप्नो की राह
गिरा धरा पर घुटने टेके
उदर पी रहा धूल
स्वास चाटती कंकड़ पत्थर
तलवों पर चुभते शूल
साने हाथ रंगे माटी रंग
माथे पे माटी भाल
श्वेत वेश हुआ मटमैला
लोग करें उपहास
थम गयी चेतना किंचित भर को
सर पृथ्वी के चक्कर काटे
सब देख रहे दूर क्षेत्र से
कोई पीछे ना आगे
दिल सहमा, मन रूठा ऐसे
अब खुद को आप सम्भालूं
मैं क्यूँ मुरझाया फूल बना
मैं भी थोड़ा मुस्कालू
मेरी राह है कदम भी मेरे
तो क्या जो ठोकर खाई
कौन पराए कौन हैं अपने
ये बातें समझ में आई
ना चिंता, ना भय, ना संशय
एक अलख जगा रखी है
कुछ संभलून, संभलू, उठु, चलूँ राह में
फिर जीत मेरी पक्की है
सोचे ही झट पट उठ बैठा
हाथों से धूल झड़ाए
पैरों के शूल को किए दूर
और आगे कदम बढ़ाए
कर गुमान तू पथिक स्वयं पर
आसान नही स्वप्नो की राह
विस्वास समेट और बढ़ा हौंसला
पूरी कर ले मनकों की चाह
38. अज्ञानता फैलाने का विचार क्यूँ?
हर मंदिर में शीश नवाए
पहने टोपी सर पर अपने
मस्ज़िद में दोनो हाथ उठाए
पर क्या पाया अब तक और क्या सोचा पाने का
बहती बयार में सब धोया
पर मैल ना धोया मन का
सोचे वो खुश होगा जो रहता है इन जगहों पर
फिरे बहुत हैं इधर-उधर
हर मंदिर में शीश नवाए
पहने टोपी सर पर अपने
मस्ज़िद में दोनो हाथ उठाए
पर क्या पाया अब तक और क्या सोचा पाने का
बहती बयार में सब धोया
पर मैल ना धोया मन का
सोचे वो खुश होगा जो रहता है इन जगहों पर
पर क्या सोचा है कभी किकिसे खुश करने चले है हम
और क्यूँ?
बड़े ज्ञानी हैं, सिद्ध पुरुष हैं
सब कुछ के है ग्याता
उसकी करते पैरवी जो खुद सबका भाग्यविधाता
सुन कर ही अचंभित हूँ, देखूँ कैसे
मूरख प्राणी तेरी मूरखता
उसे सौपने चला क्या है जब तेरा कुछ नही लगता
भर दंभ करें सब मनमानी
अपनी अपनी बात है मनवानी
पर किसे मनाने चले हैं, कौनसी बाते
किस परमात्मा की, वो जो शायद है ही नही
और है तो हम देखे नही,
देखे हैं तो समझे नही और
समझे हैं तो जाने नही
फिर अज्ञानता फैलाने का विचार क्यूँ?
बड़े ज्ञानी हैं, सिद्ध पुरुष हैं
सब कुछ के है ग्याता
उसकी करते पैरवी जो खुद सबका भाग्यविधाता
सुन कर ही अचंभित हूँ, देखूँ कैसे
मूरख प्राणी तेरी मूरखता
उसे सौपने चला क्या है जब तेरा कुछ नही लगता
भर दंभ करें सब मनमानी
अपनी अपनी बात है मनवानी
पर किसे मनाने चले हैं, कौनसी बाते
किस परमात्मा की, वो जो शायद है ही नही
और है तो हम देखे नही,
देखे हैं तो समझे नही और
समझे हैं तो जाने नही
फिर अज्ञानता फैलाने का विचार क्यूँ?
39. होली
रंगों के रंग में रंग जाना है
दिलों को दिलों से मिल जाना है
भूले से दिल दुखे किसी का तो माफ करना
इस होली में हर गिला शिकवा भूल जाना है
धोना है पानी से मन का मैल
लाल भाल माथे पर सजाना है
लाल गुलाल और हरे अबीर से
श्वेत गगन को तिरंगा बनाना है
होलिका तो जली थी कभी पर उसकी बुराई
आज भी फन फैलाये है समाज में
उस बुराई को मिटाना है इस होली में
दिलों को दिलों से मिलाना है
प्रेम का पर्व है, होली, पवित्र त्योहार है
खूब खेलो, होली, हमारे संस्कार है
प्यार बाँटो, रंग उङाओ, पानी की बौछार करो
मैल मिटाओ हर मन से, दिलों में अपने प्यार भरो।
40. मानव प्रकृति: एक विनाश की ओर
ज़मीन राख और आसमान विलुप्त सा लगता है
कहीं जहाँ काफिले चला करते थे आज शमशान सा लगता है
बिखरे हुए तिनके बताते हैं यहाँ कभी पेड़ हुआ करते थे
ये खंडहर, कोई पुराना मकान सा लगता है
गिरते कभी, तो पता चलता
वो मुकाम कुछ और था और
ये मुकाम कुछ और है
आज बैठा हूँ कुछ तिनके उठाकर पेड़ बनाने
बची रख परउ पज जमाने
एक दीपक से सूर्य उगाने
सोचता हूँ काश! ये सब पहले से पता होता
तो ऐसा कभी ना होता
तो ऐसा कभी ना होता
41. CONSEQUENCES OF NEGLIGENCE
Land turns into ashes, the sky is lost
There's a huge crowd but at rest
Died and dried relics
And shambles're the only evidences
Negligence causes disaster
Blind trust, 'the womb', nourishes the seeds which grew up to a hope,
Broken roots fruit and ashes are fertile
Damn!!! I've nothing,
But the stupid hope
42. वतनपरस्तों की शहादत पर दाग
बस कह दिया कहकर जो सबसे बङा गुनाह कर गये
पुछल्लों को मतलब पता नहीं और ताली बजाते रह गये
अफजल को शहीद और तिरंगा को बदनाम कह गये
वतनपरस्तों की शहादत पर दाग दे गये
शर्म आती है देश के जयघोष में जिन्हें, उनको सच्चा देशभक्त कह गये
आग लगाने वालो की कमी नहीं यहाँ, सारे नेता हाथ सेकते रह गये
सबसे बङा जुर्म अपराध माँ के अपमान का, चुपचाप सह गये
सबसे बङा जुर्म अपराध माँ के अपमान का, चुपचाप सह गये
इनके सारे उसूल, गैरत, संस्कार आज गटर में बह गये
आज तो अपनी ही माँ को ये कठुए गंदी गाली दे गये
कैसे जवाब दूँ माँ तुझे, तेरे अपने ही तुझे नोचते रह गये
पर मैं तेरा पूत, माँ तुझे कोई हानि न होने दुँगा
सर काट कर रख दूँ द्रोहियो का, वक्त पर कुर्बानी भी दूँगा
माँ तुझे सलाम.......
भारत माँ की जय
43. जीवन एक समझौता है
निर्जीव जी उठ चलता नही
जी सकते है जो, जी रहे
जीवन अर्थ न समझ पाए
केवल स्वास ही पी रहे
पर्याय सूझने पाए न
तो दुख अंततः होता है
ए प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है
जी सकते है जो, जी रहे
जीवन अर्थ न समझ पाए
केवल स्वास ही पी रहे
पर्याय सूझने पाए न
तो दुख अंततः होता है
ए प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है
हित-अनहित से परे सोच
तू निस्वार्थ डगर का राही है
बाँध अज्ञानी मन अपना
तू मानव धरम वैरागी है
जन्मा है, जनने वाले ने
तुझे मरना भी तो होता है
ए प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है
या शूल गढ़ेहो पग-पगमें
शिथिल वारि होमन तेरा
या अँगारे हो रग-रग में
सरल चाहे होकठिन राह
तुझको बस चलनाहोता है
ए प्राणी! जीना सीखज़रा
ये जीवन एकसमझौता है
स्वारथ कुछपरमारथ हो
पर जीवन ध्येयश्रेष्ट रहे
पर जीवन ध्येयश्रेष्ट रहे
कुछ मूल्यों की हानिहो
पर प्रेममन्त्र अभीष्ट रहे
प्रेममयी जीवन जीनेसे
प्राणी, प्राणी का होताहै
ए प्राणी! जीना सीखज़रा
ये जीवन एकसमझौता है
44. क्या देखा परमेश्वर को?
धरा गगन से दिखते तारे
तारों से वो देख धरा
कहता होगा सांगी साथी से
इस प्राणी को तू देख ज़रा
सब लगे पड़े हैं अंजाने
सब बातों से अज्ञान
न बूझे न विचारे
दैनिक कार्यों से परेशान
कुछ कहे कि मोह त्याग दिया
परब्रह्म मिला है कइयों को
पर बात समझ न आए है
क्या देखा परमेश्वर को?
जो देखा तो क्यूँ न पूछ लिया
उसके घर का दरवाजा?
जैसे एक बालक खोले है
माँ बाप के दिल का दरवाजा
तुम शायद अब बतलाओगे
महसूस करो तुम स्वभीतर
भीतर जब वो बैठा है
तो बाहर ये किसका ठिकाना?
तारों से वो देख धरा
कहता होगा सांगी साथी से
इस प्राणी को तू देख ज़रा
सब लगे पड़े हैं अंजाने
सब बातों से अज्ञान
न बूझे न विचारे
दैनिक कार्यों से परेशान
कुछ कहे कि मोह त्याग दिया
परब्रह्म मिला है कइयों को
पर बात समझ न आए है
क्या देखा परमेश्वर को?
जो देखा तो क्यूँ न पूछ लिया
उसके घर का दरवाजा?
जैसे एक बालक खोले है
माँ बाप के दिल का दरवाजा
तुम शायद अब बतलाओगे
महसूस करो तुम स्वभीतर
भीतर जब वो बैठा है
तो बाहर ये किसका ठिकाना?
45. मानवता चहके चहुँ ओर
काश!
एक बार फिर चमन में वो फूल खिले
जिसकी खुशबू में अमन की महक हो
काश सूर्योदय फिर ऐसा हो गगन में
हर ओर प्रकाश हो, स्वच्छता दिखे
मन साफ, बैर रहित, समाजहित में कार्य हो
और मानवता चहके चहुँ ओर-
मैं अभी जीवित हूँ।
46. विरह वेदना
बरस जा, ए बादल! तू लाख मर्तबा
भिगो दे ये जमीं ये आसमाँ
तन गीला कर या मन में ले समा
तेरी मंद-मंद मुसकुराहट
और भावमयी संवेदना से
न मचलेगा मेरा जी
चाहे हों लाख जतन तेरे
छुप जाये आँखों की नमी
तेरी लाख कोशिशें मुझे रिझाने की
व्यर्थ हैं- मुझ पर.........
मै प्यासी हूँ, पर मिलन की
प्रीत को गले लगाने की
उसकी बाहों में बिखरकर बह जाने की
उसकी साँसों से दिल की हसरतें मिटाने की
उसके प्यार भरे लबों से प्यास बुझाने की
तेरा बरसना व्यर्थ है मुझ पर
ए सावन!
तू बढ़ा तो देगा मेरी वेदना
पर क्या मिला पाएगा मेरे प्रिय से?
#mhicha
भिगो दे ये जमीं ये आसमाँ
तन गीला कर या मन में ले समा
तेरी मंद-मंद मुसकुराहट
और भावमयी संवेदना से
न मचलेगा मेरा जी
चाहे हों लाख जतन तेरे
छुप जाये आँखों की नमी
तेरी लाख कोशिशें मुझे रिझाने की
व्यर्थ हैं- मुझ पर.........
मै प्यासी हूँ, पर मिलन की
प्रीत को गले लगाने की
उसकी बाहों में बिखरकर बह जाने की
उसकी साँसों से दिल की हसरतें मिटाने की
उसके प्यार भरे लबों से प्यास बुझाने की
तेरा बरसना व्यर्थ है मुझ पर
ए सावन!
तू बढ़ा तो देगा मेरी वेदना
पर क्या मिला पाएगा मेरे प्रिय से?
#mhicha
47. बरसात हूँ मैं, बरसूँगी ही
बरसात हूँ मैं, बरसूँगी ही
सदियो से बरस रही हूँ, समय पर
जब-जब ताप बढ़ा है- धरा पर
तिलमिलाता हुआ जीवन हुआ गर्मी से
जब-जब भानु लाल हुआ- गगन पर
मैं खुद से ही पृथक हो गयी
बूँद-बूँद कर तरल हो गयी
अपनाकर धरा को गले लगाकर
उसका ताप निगल मैं भस्म हो गयी
पर अहं नहीं
उसने भी तो अपनी बाहों में कभी संभाला मुझे
तो उसकी रक्षा तो करूँगी ही
बरसात हूँ मैं, बरसूँगी ही
#mhicha
48. अब थोड़ा मुस्कुरा
खुद की तलाश मैं कर रहा
रातों में करवट बदल रहा
सुबह के उजाले से भागकर
दिखते अंधेरों में जल रहा
ये बंदिशें...... ये बंदिशें....
जीने नहीं देंगी
ख्वाहिशें...... ये ख्वाहिशें.....
मिटने नहीं हैं अभी
खुद को पहचान ले
अपने को जान ले
परवाह न दूसरों की
मन की तू मान ले
कहता है दिल...... अब थोड़ा मुस्कुरा
दिल की तू सुन जरा
अब थोड़ा मुस्कुरा
दिल की तू सुन जरा
(c), 2016, #mhicha
49. कश्मीर हिंसा
न वादियों में खुशबू है, न रौनक है घाटी में
माटी के लाल, माटी खातिर, मिल रहे माटी में
चंद घुसपैठियों से घातक, ये भीङ पुछल्लों की
क्या यही तुम्हारी देशभक्ति जो बिक रही घाटी में
न जाने क्या स्वप्न तुम्हारा क्या आरजू है दिल की
नफरत के दंश दिये हैं बस, है शक्ल तेरी कातिल की
है शक्ल तेरी कातिल की, अल्लाह बोलो चाहे मौला
बंद करो आतंकवाद, अब खून हिन्द का खौला
खून हिन्द का खौला, अब पङेगा तुम पर भारी
इस्लाम के नाम पर मौत का तांडव, घर-घर गोलाबारी
घर-घर गोलाबारी बन गयी सिसकियाँ कई कंठों की
प्यार की भाषा समझ न आयी अब बातें होगी डंडों की
डंडों की बातें भाती है तुमको तो ये भी तुम्हें चखायेंगे
सौगन्ध है भारत माता की अखंड भारत बनायेंगे।
भारत माता की जय!
Hem Chandra Tiwari
(c), 2016, mhicha
Woohhh...!!awesome
ReplyDeleteWant to read again and again..
आज फिर पड़ने को जी करता है :p
Thank you reader... Keep reading and please subscribe
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