Thursday, 10 February 2022

कई भाई लोग साथ आ रहे हैं,
अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है।

आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है।

उन्नति के शिखरों में अब राज्य हमारा होगा

एक अन्न जल शिक्षा स्वास्थ्य के कारण पहाड़ दम तोड़ रहा है
अब इस देश के युवा का फिर से खून खौल रहा है।

सुर्ख पड़ी हैं चीखें अब भी राज्य बनाने वालों की
उत्तराखंड में ऐसी सरकार बनाने वालों की
अस्मिता बचाने को जन जन की तब तुमने आवाज उठाई थी?
बोलों अरे मेरे नेताओं क्या तुमने गोली खाई थी?
क्या तुम झूले थे उन झूलों पर कि फिर मां का लाल न उठ पाया, 
क्या तुमने था राज्य बनने पर कोई हो मंगलगीत गाया
अरे तुम क्या जानो राष्ट्र हित में अलख जगाने वालों को? 
इंकलाब जिंदाबाद के नारे दिन-रात लगाने वालों को?
फिर एक आज और उदित सूर्य हो उठा है हिम के आंचल में
कोई किरण दौड़ती गढ़वाल में और कुछ खिल उठी कुर्मांचल में
पथ की बेड़ियों को तोड़ अलख फिर हमने आज जगानी है
अपनी सरकार बनानी है।

अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है।
आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है।

सभी युवा भाईयों को समर्पित जो साथ मेरे आ रहा है
दिल‌ से करता अभिनन्दन दिल गान तुम्हारे गा रहा है।

🙏🙏🙏

Monday, 24 January 2022

ना दीन ना ईमान यूं नेता हैंगी बेईमान



ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 

चुनाव आणि यूँ हाथ जोड़नी, हाथ जोड़नी खुट पड़नी 
चुनाव आणि यूँ हाथ जोड़नी, हाथ जोड़नी खुट पड़नी 
ना जान ना पहचान बड़बेर ऐं जनि मेहमान 
ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 

वोट दियो मैं दार पिलुलो, दार पिलुलो नोट बाटुलो 
वोट दियो मैं नोट बाटुलो ,नोट बाटुलो रोजगार दिलुलो 
बस म्याके जीतै दियो भगवान  यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 

वोट दियो मैं रोड बनुलो, शिक्षा स्वास्थ्य चकबंद करुलो  
वोट दियो मैं रोड बनुलो, शिक्षा स्वास्थ्य चकबंद करुलो  
नेता बनबेर  नि सुणनि कान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 

अपन कुड़ि तिजोरी भरनी, लोगू लीजि खौर खजूनि 
जब ले लोग के काम बतुनि के न के बहान लगूनि 
इनुल मचै हैलो कोहराम यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 

कांग्रेस में नेहगीं भोव बीजेपी में  ऐंगी 
बीजेपी बटी आई कांग्रेस में ऐंगी 
कार्यकर्ता हैंगी परेशां म्यर  कु पार्टी छी हैय राम 
दलबदलू नेताऊं कु चान, यो जनता ह्वै गे हैरान 
ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 

जागो दगडियो म्यर पहाड़ियों, पार्टीप्रेमक आग लगै द्यो 
लूटी गई म्यरो गाड़ गधर ज्यू , वन देव ज्यू म्यर पहाड़ ज्यू 
खेत बिकि गई, कुड़ी उजड़ गई, बसी गौं ले पलायन कर गई 
यांक जवानी दारुले पि हई, गौं गौं मा भट्टी छू खुल गई 
फ़ोकट फ़ोकट की आदत पड़ी गई, शिक्षा व्यवस्था चौपट करि हई 
कैक भल करला ओ रे नेताओं, पहाड़ो में ले प्रदुषण करि है 
अब जनताल करि हई पहचान, यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
ना दीन ना ईमान यूं  नेता हैंगी  बेईमान 
अब सब लोगुल ली इनुक जान 
यूं  नेता हैंगी  बेईमान 


Sunday, 2 May 2021

भुवन जोशी को समर्पित भावपूर्ण श्रद्धांजलि


आया था प्यार का पैगाम लेकर गांव में तेरे 

क्या पता था नफरत का कारोबार होता है यहाँ 

हैवानियत भी शब्द छोटा लगा देख ये मंजर 

तेरे गाँव में कातिलों का मेला लगा था जहाँ 


            मेरा कसूर ही तो था जो दिल्लगी का जूनून  सवार था 

            फरेब और झूठ से दिल लगाने का अंजाम मौत ही तो है यहाँ 

            मेरा कातिल मैं तुझे कहुँ, या चंद  लोगों को गांव में तेरे 

            लोगो की मानें तो भीड़ में शामिल हर शख्स कातिल है यहाँ 


वो लड़की भी जिसे मिलकर मौत को गले लगाया यहाँ 

वो बाप भी जिसने पूरा कसूर ही मेरा पाया वहाँ 

वो प्रधान भी कातिल जिसने बेल्ट घूसों से नवाजा मुझे 

वो तमाम लोग जिन्होंने हाथों से मारा मुझे 


            और वो बूढ़ी दादी भी जो मुझ पर तरस खा न सकी 

            वो महिलाएं जो मेरे खून देख आंसू बहा  न सकी 

            वो अंकल जो मेरी मिन्नतों को अनसुना करते रहे 

            वो तमाशबीन लड़के भी जो दरिंदों क चंगुल से मुझे बचा  न सके 


पर शुक्रगुजार हूँ मैं कुछ लोगों का गाँव में तेरे 

जिनके कैमरों ने सच को उजागर किया 

शुक्रगुजार हूँ दोस्तों का जिन्होंने मेरी मौत पर 

इंसाफ माँगा और अपने प्यार का उपहार दिया 


            मेरे पापा मुझे माफ़ करना मैं लाठी न बन सका बुढ़ापे की 

           माँ के साथ रहूँगा स्वर्ग में तुम फ़िक्र न करना यहाँ

            और मेरे कातिलों तुम भी नर्क भोगोगे इसी दुनिया में 

           अब कोई न आएगा प्यार का पैगाम लेकर गाँव में तेरे। 

            

            

Friday, 30 April 2021

चुनाव की फिक़र सबको है 

इन मौतों का हिसाब कौन देगा?

अपना कसूर पूछने बैठा तो

उस मुर्दे को जवाब कौन देगा?


तब लगा कुंभ और रैलियाँ सड़को  पर

अब सूने घरों में आवाज कौन देगा?

जब फसल ही पूरी खाक़ हो गई

तो जमीं को खाद कौन देगा?


- हेम चंद्र तिवारी


Monday, 8 February 2021

When you feel your #soul and listen your innervoice, when you find peace inside you, when you participate in heavenly deeds and bring fortune to others, you become yourself. Only you can meet yourself to the best of you 


- HC Tiwari


Saturday, 26 January 2019

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं



पुण्यवेला ये आयी है अब हर्ष बहार की बाढ़ है
संघर्षों, उन कर्मों का ये गणतंत्र दिवस प्रमाण है।

जी वीरों के दम पर ये भारत मेरा आजाद हुआ
जिन महापुरुषों के बल पर ये देश मेरा खुशहाल हुआ
जिन वीरांगनाओं की बेदी पर आज हमें यूं नाज़ है
जिन पूर्वजों की कोशिश से माँ के मस्तक पर ताज है
जिन गरीब ने न खाकर आजादी में सहयोग दिया
जिन नरेश ने मातृ के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया
मरकर भी आज अमर है जो हर भारतीय के भीतर
ऐसे मेरे आदर्शों को बारम्बार प्रणाम है।
#आजाद_पंछी



Tuesday, 21 August 2018

‌सब तेरे खुद के बस में है


‌सब तेरे खुद के बस में है

पुष्प पड़े हों राहों पर या शूल गढ़े हो हर ठोर पर
तुझको तो आखिर चलना ही है, पग अपने संभाल ले

न हो हताश क्यों तू फ़िक्र करे?बादल है प्यास बुझाने को
सब्र कर जरा, तू ठहर यहाँ, थोड़ी तो लंबी सांस ले

स्वप्नों की टूटन से न विचलित हो, फिर से पिरोना सीख इन्हें
ले विजय पताका हाथ अभी, धीरे से तू अपनी बाट ले

दबी हुई क्यों हँसी तेरी रुदते कंठों के बोझ तले? 
अम्बर भी गिरे जमीं पर जो खुलके हँस ले या चीख ले

क्या तूफ़ान बिगाड़ेंगे अब तेरा जब तू खुद मुख़ातिब होता है
‌बाहों में भरले अपने इनको या रौंद डाल तू कदम तले

‌सब खेल क्या फ़तह का है या तीस तुझे कुछ पाने की
‌संघर्ष समेटे आँचल में है, जो मंजिल तेरी हो तुझे मिले

‌तू संघर्ष कर हो कार्यरत, बन निडर, भीरु न बनकर चल
‌है लिए मशाल तू सीने में तो क्यों दीपक की राह चले

‌नहीं छिन रहा चैन तेरा सब भीतर मन का करतब है
‌जो लिया डगर पहचान अभी सब तेरे खुद के बस में है

‌सब तेरे खुद के बस में है

(सर्व अधिकार सुरक्षित, 2018, हेम चंद्र तिवारी)

कई भाई लोग साथ आ रहे हैं, अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है। आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है। उन्नति के शिखरों में अब राज्य ह...