Tuesday, 21 July 2015

इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा

इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा
मैं भी चलना सीख रहा इस दुनिया में
इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा
भ्रमित कर रहे लोग सभी जैसे दुनिया एक जंजाल है
हृदय हुआ पाषाण सभी का यह अब नर का कंकाल है
हसना गाना भूल गए जो अब दुःख के आंसू रोते है
मतलब की इस दुनिया में अब कौन से अपने होते है
हुआ मुख़ाबीर इस दुनिया से भौंचक होकर मैं खड़ा
जरा ठहरकर सोच- समझकर
मैं भी चलना सीख रहा इस दुनिया में
इस दुनिया में मैं भी चलना सीख रहा
चलते-चलते इस पथ पर नयनो के सम्मुख धुंध बनी
प्रेम कृपाण जो पास रखी थी इस राक्षस पर कुंद बनी
लाचार खड़ा था देख रहा था कैसी ये विपत आन पड़ी
अधम दुराचार भ्रष्ट भावना मानवता की पहचान बनी
संयम मेरा इस क्रोधाग्नि में झुलस-झुलस के चीख रहा
मूंद के आँखे इस दुनिया में
अब मैं भी चलना सीख रहा
इस दुनिया में
मैं भी चलना सीख रहा





by
Hem Chandra Tiwari
'MHICHA'



























































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