Tuesday 28 July 2015

आखरी सलाम कलाम के नाम


क्षुब्द हुआ है देश कही कुछ खो गया है
वीर सपूत जो गहन नींद में सो गया है
हृदय विदारक पीड़ा देकर मन के सूने गलियारों में
छोड़ गया संसार हमारा बस गया चाँद सितारों में

अज तेरा है त्याग गजब है योगदान तेरे ज्ञान का
अपनी खोजो से बदल दिया है तूने ढांचा विज्ञान का
देश को अर्पित तन मन जीवन तूने सच्चा धर्म निभाया है
ए भारत के करम रत्न तुझे हमने शीश झुकाया है

जटिल परिस्तिथि कठिन परिश्रम, पर नियमन उच्च विचारो का
संयम, प्रेरणा और नैतिकता, प्रतिफल है सुसंस्कारों का
धन्य भाग इस भारत के जो तुझ सपूत ने जनम लिया
सद्भाव, निष्ठां और देशभक्ति से तूने राष्ट्रहित में करम किया
अग्नि, नाग, आकाश, पृथ्वी से शान बड़ाई भारत की
सरल जीवन के आदर्शवादी तू मूरत है परमारथ की

भारत माँ के वीर सपूत तुझे पूजूँ फूलो के हार से
आज अमर कलाम देश का चल दिया नश्वर संसार से
अम्बर के अंश्रु धोते धरती, धरती विमुख हुई श्रृंगार से
आज अमर कलाम देश का चल दिया नश्वर संसार से

आज अमर कलाम देश का चल दिया नश्वर संसार से


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