ता ता थैया धिनक धिनक धिन
पंख पसारे मोर ने
चितवन में आकर चित्त चुराया
श्याम मनोहर चोर ने
पंख पसारे मोर ने
चितवन में आकर चित्त चुराया
श्याम मनोहर चोर ने
राधा रानी व्याकुल बैठी
कुञ्ज गली की ओढ़ पर
श्याम मुरारी मिलन न आये
न रात्रि, साँझ न भोर पर
श्याम मुरारी मिलन न आये
न रात्रि, साँझ न भोर पर
रूठी राधा मन कुंठित करके
ये प्रेम राग की तान थी
कान्हा की कोई खबर न आई
राधा रानी परेशान थी
सब जग ढूंढा सब जग खोजा
पग पग राह निहारे
अब तो आजा मेरे गिरधारी
मुरली महोहर वाले
कभी इस पल दौड़े कड़ी धूप में
कभी प्रेम अश्रु बहाये
राधा रानी के सौ जतन पर
कृष्णा न मिलने आये
हुई हताश तो बैठी छण भर
दिल में प्रेम अलख जगाई
रोम -रोम से नेत्र मूँद कर
कान्हा की रटन लगायी
प्रकट हुए वो पल भर में
राधे के अंश्रु पोछे
क्यों न आये मिलने मुझसे
राधा रो-रो पूछे
मैं तुम्हे ढूंढने मेरे कान्हा
वन -वन खोजन आई
रो -रो कर राधिका रानी ने
पूरी बात बताई
भरे मुस्कान होठो पर मोहन
मंद मंद मुस्काये
हाथ बढाकर राधा रानी को
पल भर में गले लगाये
बोले राधे भोली हो तुम
थोड़ी सी अपट अनाड़ी
मैं तो तेरे दिल के कोने में
क्यों ढूंढे बाड़ी बाड़ी
तेरे नैनो की छाँव में राधे
मैं अपनी रात गुजारु
तेरे मन के इस द्वार से पगली
मैं तुझको रोज निहारु
राधे मैं कण-कण बसता हूँ
घर घर में मेरा डेरा
मुझसे ही चलता काल चक्र
मुझसे ही साँझ सवेरा
मैं बसता हूँ हर मन-मंदिर में
प्राणी प्राणी के वेश में
मैं तुझमे तू मुझमे बसती
तू क्यों ढूंढे परिवेश में
फिर काहेतू रोवे राधे
फिर काहे तू शोक मनावे
पल भर में मिल जाऊंगा
जो तू कान्हा कान्हा गावे
पल भर में मिल जाऊंगा
जो तू कान्हा कान्हा गावे
सुन राधा हर्षित भई श्याम नाम का ज्ञान|
रेट आलाप आठो पहर गूंजे चारो धाम||
प्रेम दीप की ज्योत से श्याम तुम्हारे होए |
कष्ट निवारे सब जन के जो प्रेमांकुर को बोये ||
by
Hem Chandra Tiwari
'MHICHA'
अति सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद राहुल भाई। अग्रिम पोस्ट पढ़ने हेतु ब्लॉग को फॉलो करना न भूलें।
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