Thursday 14 January 2016

जीवन एक समझौता है

जीवन एक समझौता है
 
निर्जीव जी उठ चलता नही
जी सकते है जो, जी रहे
जीवन अर्थ समझ पाए
केवल स्वास ही पी रहे
पर्याय सूझने पाए ना
तो दुख अंततः होता है
प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है


 
हित-अनहित से परे सोच
तू निस्वार्थ डगर का राही है
बाँध अज्ञानी मन अपना
तू मानव धरम वैरागी है
जन्मा है, जनने वाले ने
तुझे मरना भी तो होता है
प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है
 
पुष्प जड़ित हो राह तेरी
या शूल गढ़े हो पग-पग में
शिथिल वारि हो मन तेरा
या अँगारे हो रग- रग में
सरल चाहे हो कठिन राह
तुझको बस चलना होता है
प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है
 
स्वारथ कुछ परमारथ हो
पर जीवन ध्येय श्रेष्ट रहे
कुछ मूल्यों की हानि हो
पर प्रेममन्त्र अभीष्ट रहे
प्रेममयी जीवन जीने से
प्राणी, प्राणी का होता है
प्राणी! जीना सीख ज़रा
ये जीवन एक समझौता है
 

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