Saturday, 16 July 2016

#kashmir#violence


न वादियों में खुशबू है, न रौनक है घाटी में
माटी के लाल, माटी खातिर, मिल रहे माटी में
चंद घुसपैठियों से घातक, ये भीङ पुछल्लों की
क्या यही तुम्हारी देशभक्ति जो बिक रही घाटी में

न जाने क्या स्वप्न तुम्हारा क्या आरजू है दिल की
नफरत के दंश दिये हैं बस, है शक्ल तेरी कातिल की
है शक्ल तेरी कातिल की, अल्लाह बोलो चाहे मौला
बंद करो आतंकवाद, अब खून हिन्द का खौला
खून हिन्द का खौला, अब पङेगा तुम पर भारी
इस्लाम के नाम पर मौत का तांडव, घर-घर गोलाबारी
घर-घर गोलाबारी बन गयी सिसकियाँ कई कंठों की
प्यार की भाषा समझ न आयी अब बातें होगी डंडों की
डंडों की बातें भाती है तुमको तो ये भी तुम्हें चखायेंगे
सौगन्ध है भारत माता की अखंड भारत बनायेंगे।

भारत माता की जय!

Hem Chandra Tiwari
(c), 2016, mhicha

Friday, 15 July 2016

अब थोड़ा मुस्कुरा

खुद की तलाश मैं कर रहा
रातों में करवट बदल रहा
सुबह के उजाले से भागकर
दिखते अंधेरों में जल रहा

ये बंदिशें......  ये बंदिशें....
जीने नहीं देंगी
ख्वाहिशें...... ये ख्वाहिशें.....
मिटने नहीं हैं अभी

खुद को पहचान ले
अपने को जान ले
परवाह न दूसरों की
मन की तू मान ले

कहता है दिल......  अब थोड़ा मुस्कुरा
दिल की तू सुन जरा
अब थोड़ा मुस्कुरा
दिल की तू सुन जरा

(c), 2016, #mhicha

Sunday, 10 July 2016

मजहब


धर्म नहीं, जैसे विज्ञापन हो गया
मजहब अब शासन हो गया
यूँ हिली दीवारें धूमिल मिला खंडहर
कि हर जगह मातम छा गया

#mhicha

कई भाई लोग साथ आ रहे हैं, अच्छा लग रहा है, एक नया भारत दिख रहा है। आजाद हिंद के सपनो का अब फिर परचम लहरा है। उन्नति के शिखरों में अब राज्य ह...