न वादियों में खुशबू है, न रौनक है घाटी में
माटी के लाल, माटी खातिर, मिल रहे माटी में
चंद घुसपैठियों से घातक, ये भीङ पुछल्लों की
क्या यही तुम्हारी देशभक्ति जो बिक रही घाटी में
न जाने क्या स्वप्न तुम्हारा क्या आरजू है दिल की
नफरत के दंश दिये हैं बस, है शक्ल तेरी कातिल की
है शक्ल तेरी कातिल की, अल्लाह बोलो चाहे मौला
बंद करो आतंकवाद, अब खून हिन्द का खौला
खून हिन्द का खौला, अब पङेगा तुम पर भारी
इस्लाम के नाम पर मौत का तांडव, घर-घर गोलाबारी
घर-घर गोलाबारी बन गयी सिसकियाँ कई कंठों की
प्यार की भाषा समझ न आयी अब बातें होगी डंडों की
डंडों की बातें भाती है तुमको तो ये भी तुम्हें चखायेंगे
सौगन्ध है भारत माता की अखंड भारत बनायेंगे।
भारत माता की जय!
Hem Chandra Tiwari
(c), 2016, mhicha
No comments:
Post a Comment