Friday 15 July 2016

अब थोड़ा मुस्कुरा

खुद की तलाश मैं कर रहा
रातों में करवट बदल रहा
सुबह के उजाले से भागकर
दिखते अंधेरों में जल रहा

ये बंदिशें......  ये बंदिशें....
जीने नहीं देंगी
ख्वाहिशें...... ये ख्वाहिशें.....
मिटने नहीं हैं अभी

खुद को पहचान ले
अपने को जान ले
परवाह न दूसरों की
मन की तू मान ले

कहता है दिल......  अब थोड़ा मुस्कुरा
दिल की तू सुन जरा
अब थोड़ा मुस्कुरा
दिल की तू सुन जरा

(c), 2016, #mhicha

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