क्यों? क्या घिन आती है हमसे?
हमारा तो काम यही है,
थककर चूर होते हैं जब
आराम यहीं है।
बंद चार दिवारों में रहते हो
हमे दुत्कारते हो
खिड़की से कूड़ा फेंक सड़क पर
रौब झाड़ते हो
जब देखते हो सड़क पर
पैरो की धूल समझते हो
हमें मवेशी से भी घटकर
क्यों मानते हो???
कल ही तो एक कुकुर
और लेकर आ गए
सेल्फी अपडेट करके
सोशल मीडिया पर छा गए।
हमसे पूछने हाल कभी
क्यों न आते हो तुम
क्यों कभी हमें अपना
घर ले जाते हो तुम????
सब गंदगी तुम्हारी
हम साफ़ करते हैं।
तुम ही बोलो
क्या कोई पाप करते हैं।
मिलते हो जिससे भी
कहते हो कि
हमारा तो यही धंधा है
दिल पर हाथ रख कह दो
हम गंदे हैं या कौन गन्दा है???
सफ़ेद कपड़ो की चमक तुम्हारी
सब कुछ तो कह गयी
दिल की बातें हमारे दिल में ही रह गयी
फिर क्यों न सोऊँ यहीं
कूड़े के ढेर में
माने मेरे सपनो की दुनिया
है फिर से ढ़ह गयी।
#mhicha
अगर इन पंक्तियों में आपको इन अभावग्रस्त बच्चो के मन की बात सुनाई दे तो कृपा करके अपने सभी मित्रों के साथ साझा करें एवं उनसे आग्रह करें कि कभी इन बच्चों को देखकर मुँह न फेरें और न ही इन्हें लताड़ लगाएं अपितु इनके पास जाकर हरसंभव मदद करने की कोशिश करें और खुद भी ऐसा करें।
विनम्र निवेदन!
हेम चंद्र तिवारी
nice sir g..... sahi baat kahi h.... hm to ganda krte h wo gandagi saaf.... wo jaan k aise ni h .. halat ne aise banaye h
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