Sunday, 22 July 2018

ना तुमने जाना मुझे ना समझा मेरा प्यार
कहूँ तो कहूँ कैसे अपने दिल का हाल
नहीं सुना तुमने कभी जो दिल ने कहा
क्यों फेर ली नज़रें तुमने न देखा मेरा प्यार
फिर भी साथ हो हरदम यूँ जताती क्यों हो
जो पहले ही पागल है तेरे प्यार में
उसे और पागल बनाती क्यों हो?

हाँ दौर बदले हैं, जमाना भी अब वो नहीं
तुम अब नहीं साथ और मैं भी वहाँ नहीं
फिर भी तुझको दिल सोचता क्यों है
ये तेरा आशिक़ मुकद्दर को कोसता क्यों है?
आज भी तुम यादों से मुझको सताती क्यों हो
जो पहले ही पागल है तेरे प्यार में
उसे और पागल बनाती क्यों हो?

तू चाहे किसी और को हमसफर बना ले
किसी और के शहर को अपना घर बना ले
जब भी मिलेंगे कभी किसी भी मोड़ पर
मैं फिर इजहार करूँगा, तुझसे ही प्यार करूँगा
पहले लड़ती हो मुझसे फिर मनाती क्यों हो?
जो पहले ही पागल है तेरे प्यार में
उसे और पागल बनाती क्यों हो?

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