एक सार्वजनिक पत्र गुजरात आंदोलन के नायक हार्दिक पटेल के नाम
प्रिय मित्र!
दिनांक : 25/08/2015
हार्दिक पटेल जी
बुधवार, समय : 02:39
आज जब टेलीविजन
पर न्यूज़ चैनल
के माध्यम से
आपके द्वारा चलाये
गए 'आरक्षण आंदोलन'
का विकराल रूप
देखा तो आपके
बारे में जानने
की उत्सुकता हुई
और 'नवभारत टाइम्स'
की फेसबुक पर
की गयी एक
पोस्ट के द्वारा
मैं आपके बारे
में कुछ बातें
जान पाया| निसंदेह
आपमें नेतृत्व करने
की असीम प्रतिभा
है और शायद
आप इन सियासी
जंजालों से झुंझले
हुए हैं, नहीं
तो मात्र बाईस
वर्ष की उम्र
में इतने विशाल
जनसमूह का नेतृत्व
करना किसी सामान्य
युवक के वश
की बात नहीं|
जितना मैं समझ
पाया उस हिसाब
से पूरी आफत
की जड़ 'भारत
में निरंकुश आरक्षण'
है, एवं इसमें
कोई संदेह नहीं
कि आरक्षण के
काले बादल प्रतिभा
के सूर्य की
कांति को उद्दीप्त
नहीं होने दे
रही| ऐसे में
हमारा कर्तव्य है
कि इन बादलों
को हटायें न
कि इन्हें बढ़ावा
दिया जाए; वरना
वह दिन दूर
नहीं जब पूरा
देश इस आरक्षण
की आग में
झुलस रहा होगा
और प्रतिभा देश
के किसी कोने
में सिर छिपाने
की जगह ढूंढ
रही होगी|
इतिहास के पन्नों
में गुर्जर और
मराठा के बाद
एक और नाम
जुड़ गया 'पटेल'
का, जिन्होंने आरक्षण
की मांग की|
शायद वाकई वर्तमान
भारत में अब
प्रतिभा का कोई
मोल नहीं रहा|
आज शायद मैं
भी वही बन
जाऊं जिसके (आरक्षण
के ) मैं खिलाफ
हूँ और आरक्षण
की छत्रछाया में
अपना जीवन सफल
भी कर लूँ;
पर आने वाली
प्रतिभाशाली युवापीढ़ी को क्या
जवाब दूँगा? वो
फिर तरसेंगे और
तड़पेंगे अपने हक़
को पाने के
लिए और हर
बार एक नया
हार्दिक पटेल खड़ा
होकर उनका नेतृत्व
कर रहा होगा
और फिर से
सड़को पर देह्सत
का नंगा नाच
होगा| अगर ऐसे
ही चलता रहा
तो वो दिन
दूर नहीं जब
देश का हर
समुदाय आरक्षित होगा और
हर क्षेत्र में
अप्रत्यक्ष रूप से
भारत का बंटवारा
होगा जैसे एक
परिवार में भाइयों
के बीच जमीं
जायजाद को लेकर
होता है|
मुझे अफ़सोस के साथ
कहना पड़ रहा
है कि मैं
इस आंदोलन में
आपके साथ नहीं
हूँ, इसलिए नहीं
कि मैं एक
पटेल नहीं हूँ
बल्कि इसलिए कि
मैं आरक्षण का
एक सताया हुआ
सामान्य जाती का
युवक हूँ, जो
शायद आपसे सहमत
होता अगर ये
आंदोलन आरक्षण मांगने कि
बजाय आरक्षण हटाने
के लिए किया
जाता|
मैं उम्र में
आपसे दो वर्ष
बड़ा हूँ और
शायद तजुर्बे में
आपसे छोटा पर
एक आम इंसान
कि हैसियत से
आपसे ये गुजारिश
करता हूँ कि
इस आंदोलन का
रुख मोड़कर आरक्षण
हटाने के लिए
किया जाये| अगर
मेरे इस सार्वजनिक
पत्र ने आपकी
शान में कोई
गुस्ताखी कि हो
तो बड़ा भाई
होने के नाते
आपसे क्षमा की
आशा रखता हूँ|
आपका प्रिय मित्र!
एक सामान्य युवक
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