हँसते मुस्कराते ये पल
जीवन में रहते हैं ऐसे
साथी पलभर के जीवन में
बनकर के रहते हैं जैसे
खुशियों में जब हम खो जाते हैं
दुख रहते हैं दूर सभी
दस्तक तब दुख देते हैं
जीवन के पहलू हों जैसे
सुख में जैसे मौज मनाकर
हम जीवन जी लेते हैं
सारा मधुमृत छान-छानकर
झटपट ही पी लेते हैं
दुख के क्षीर भी छोङें क्यों
सरस तरिनी जब मी गये
ये भी तो हैं साथी जीवन के
शीश औ पग साथ हों जैसे
मौजी तू जीवन का, जल्द ही,
अंधकार से घबराता है
अपने इस दुखियारे जीवन से
आखिर तू क्यों कतराता है?
याद तुझे ये रहे हमेशा
सृष्टि का भी यही नियम है
तेरा जीवन फिर उदित ही होगा
सूर्य उदित होता है जैसे।
जीवन में रहते हैं ऐसे
साथी पलभर के जीवन में
बनकर के रहते हैं जैसे
खुशियों में जब हम खो जाते हैं
दुख रहते हैं दूर सभी
दस्तक तब दुख देते हैं
जीवन के पहलू हों जैसे
सुख में जैसे मौज मनाकर
हम जीवन जी लेते हैं
सारा मधुमृत छान-छानकर
झटपट ही पी लेते हैं
दुख के क्षीर भी छोङें क्यों
सरस तरिनी जब मी गये
ये भी तो हैं साथी जीवन के
शीश औ पग साथ हों जैसे
मौजी तू जीवन का, जल्द ही,
अंधकार से घबराता है
अपने इस दुखियारे जीवन से
आखिर तू क्यों कतराता है?
याद तुझे ये रहे हमेशा
सृष्टि का भी यही नियम है
तेरा जीवन फिर उदित ही होगा
सूर्य उदित होता है जैसे।
By
Hem Chandra Tiwari
mhicha
Nice
ReplyDeleteThank you
DeleteNice
ReplyDeleteThank you mam
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