Saturday 31 October 2015

मन की आवाज़

मन की आवाज़
एक दीप मेरे मन में जला कोई
एक किरण मेरे मन को भी दिखा कोई
रात काली कितनी भी हो
मेरी भी सुबह होगी ये समझा दे कोई
शैल सी शैल डगर मेरी पर
नभ से ज़्यादा विश्वास कर खुद पर इतना समझा दे कोई
संघर्ष करूँ हर कठिनाई से खड़ा रहूँ हर मोड़ पे
फिर आएगी मंज़िल और चुमूंगा आसमान ये समझा दे कोई
मन को थोड़ा स्थिर रखूं और दिल पर काबू
राह मोड़ लेगी हर कठिनाई भी मेरे पथ से
थोड़ा इतना यकीन रखूं, खड़ा रहूं, साहस करूँ,
अभिलाषा रखूं और बनूँ हिम्मतवाँ
फिर नमन करेगा ये चमन भी,ये समझा दे कोई
by
Ravinder Singh Raturi
From Rishikesh, Uttarakhand

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