मन की आवाज़
एक दीप मेरे मन में जला कोई
एक किरण मेरे मन को भी दिखा कोई
रात काली कितनी भी हो
मेरी भी सुबह होगी ये समझा दे कोई
शैल सी शैल डगर मेरी पर
नभ से ज़्यादा विश्वास कर खुद पर इतना समझा दे कोई
संघर्ष करूँ हर कठिनाई से खड़ा रहूँ हर मोड़ पे
फिर आएगी मंज़िल और चुमूंगा आसमान ये समझा दे कोई
मन को थोड़ा स्थिर रखूं और दिल पर काबू
राह मोड़ लेगी हर कठिनाई भी मेरे पथ से
थोड़ा इतना यकीन रखूं, खड़ा रहूं, साहस करूँ,
अभिलाषा रखूं और बनूँ हिम्मतवाँ
फिर नमन करेगा ये चमन भी,ये समझा दे कोई
Ravinder Singh RaturiFrom Rishikesh, Uttarakhand
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