Sunday 18 October 2015

दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्‍या थी

35. दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
किसी को रात तो किसी को दिन किया
किसी के सर के उपर छत नहीं तो किसी को महल दिया
कोई धनवान ठुकरा देता है छप्पन भोग
तो किसी को निवाले-निवाले को मोहताज़ किया
- दुनिया बनाने  वाले तू इतना बता
ये दुनिया बनाने की वजह क्‍या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्याथी

कहीं हरा-भरा मैदान तो कहीं सूखा किया
जिन्हें भेजा इस संसार में उन्हे क्यूँ भूखा किया
कुछ को शान से रहते देखा है अपने-अपने घरों में
तो किसी पे रात गुज़ारने की पनाह ना थी
- दुनिया बनाने  वाले तू इतना बता
ये दुनिया बनाने की वजह क्‍या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी

स्वप्निल प्रदेश के गर्भ में आकाश की नीली चादर ओढ़े
देखा है अबोध यहाँ, थोड़े दूध को चिल्लाता है
इंसान को इंसान की फिकर नहीं झूठे दम पर इतरता है
जानने वाली माँ रूठ गयी पर उस अबोध की खता क्या थी
उसे क्यूँ भेजा इस दुनिया में जब उसकी चिंता ना थी
- दुनिया बनाना वाले तू इतना बता
ये दुनिया बनाने की वजह क्‍या थी
दुनिया बनाने वाले तेरी रज़ा क्या थी
                                                                                                                                                               by
Hem Chandra Tiwari
'MHICHA'

1 comment:

  1. बढ़िया लगा पढ़कर । दूनियाँ की कुछ कड़वी सच्चाई से रुबरु कराती आपकी लेखन अच्छा लगा ।

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