Monday 5 October 2015

जिनमें तू बसीहै और बसीहैं तेरी यादें




जिनमें तू बसीहै और बसीहैं तेरी यादें

समेट कर उन लम्हों को सहेज लूँ दिल में
जिनमें तू बसी है और बसी हैं तेरी यादें
तेरी हर बात जो लिखी किन्हीं कोरे पन्नों पर
समेट कर उन पन्नों को छुपा लूँ अपनी बाहोंमें
जिनमें तू बसी है और बसी हैं तेरी यादें|

लफ़्ज़ों को समेट लूँ और समा लूँ अपने कानों में
जिनमें मेरा इज़हार और तेरा इनकार रहा
रोक लूँ उन आँसुओं को जो दिन-रात गिरे,तुझे पाने को
तन्हाइयों में जो मेरा यार रहा
मुक़द्दर की किताब के पन्नों में एक पन्ना और लिख लूँ
जिसमें तू ही तू हो, तेरा साथ हो और तेरा प्यार हो
तेरे प्यार के गीत सुनाऊं महफ़िल में
जिनमें तू बसी है और बसी हैं तेरी यादें|
by
Hem Chandra Tiwari
'MHICHA'

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