अक्सर रोजाना हम कितने
ही बच्चो को
सड़को पर जीवन
यापन करते देखते
हैं और सिर्फ़
निराशा व्यक्त करते हुए
आगे बढ़ जाते
हैं| कई सारे
अनाथ बच्चे बहुत
से सज्जनो द्वारा
गोद लिए जा
चुके हैं और
लिए जा रहे
हैं फिर भी
कहीं ना कहीं
मध्यम वर्ग के
लोग ना जाने
क्यू किसी बच्चे
को गोद लेने
से परहेज करते
हैं और तरह-तरह के
बहाने बनाते हैं…..
मेरे एक मित्र
से इस विषय
पर की गयी
वार्तालाप की कुछ
झलकियाँ
मैं: भाई शादी
के बाद बच्चो
के बारे में
क्या सोचा है?
मित्र: भाई सोचना
क्या है
मैं: अगर एक
बच्चा अपना और
एक गोद लिया
जाए तो?मित्र: क्या कह रहा है भाई? क्यू दोनो अपने हो तो क्या बुराई है?
मैं: भाई बुराई तो कुछ नही है पर जब तू दो बच्चो का पालन पोषण कर सकता है तो क्यूँ ना साथ में एक ऐसे बच्चे का पालन पोषण कर जिसे वाकई में तेरे परवरिश की और एक परिवार की ज़रूरत हो? इसमे भी कोई बुराई नही है| क्यूँ क्या कहता है?
मित्र: अरे भाई! समाज क्या कहेगा?
मैं: भाई क्या समाज कल तेरे बच्चो का पेट पालने आएगा? तुझे ही उनकी परवरिश करनी है और जिस बच्चे को तू गोद लेगा वह भी तो समाज का ही हिस्सा है| तो फिर इसमें समाज को कोई परेशानी नही होनी चाहिए| तू कोई बुरा काम नही कर रहा एक अनाथ बच्चे को अपनाकर|ऐसा करके तू खुद एक मिशाल बनेगा, समाज में, जिससे और लोग भी अन्य बच्चो की परवरिश को आगे आएँगे|
मित्र: ठीक है
यार पर घर
वाले नही मानेंगे;
उन्हे कैसे मनाऊँगा?
मैं: भाई सबसे
पहले तो तुझे
खुद पर भरोसा
होना चाहिए अगर
तू ऐसा काम
करना चाहता है
तो घर वालो
को कोई परेशानी
नही होनी चाहिए|
अपने मा-बाप
तो बच्चे के
लिए किसी भी
हद से गुजरने
को तैयार होते
हैं और यहा
तक कि कभी
कभी बुरे काम
में भी उसे
समर्थन करते हैं
तो फिर अच्छे
काम में क्यू
मना करेंगे भला?
मित्र: चल ठीक
है| अगर घर
वालो को भी
मना लिया तो
बीवी माने ये
ज़रूरी तो नही?
मैं: ठीक पूछा
भाई| अगर तुझे
घर का काम
देखने वाली बीवी
चाहिए या फिर और
किसी काम में
माहिर तो शादी
से पहले उसका
पूरा ब्यौरा निकाल
कर ही शादी करते
हो ना तो
इतने अहम फ़ैसले
पर बात करनी भी
ज़रूरी है शादी
से पहले| जिस
भी लड़की से
तू शादी करेगा वो
लड़की हमेशा तेरे
साथ कदम से
कदम मिलाकर चलने वाली
होनी चाहिए| क्या
तुझे नही लगता
कि तुझे पहले
ही इस बारे
में बात करनी चाहिए?
मित्र: अरे कहना
आसान है पर
नही हो पाएगा
यार|
मैं: क्यू ? तुझे खुद
पर विश्वास नही
क्या?