कृपया ये प्रश्न स्वयं से करें और खुद विचार करें।
1.क्या आप भिखारी बच्चों को भीख देते हैं?
2.क्या आप यह पुण्य का काम रोजाना करते हैं?
3.कहीं आप भीख देकर उन बच्चों के भविष्य को गलत दिशा में तो अग्रसर नहीं कर रहे?
4.कहीं आप जाने-अनजाने में जबरन भीख मँगाने वाले दलालों की जेब तो गर्म नहीं कर रहे?
5.क्या आपके दिये गये रूपयों से वाकई उन बच्चों का वर्तमान और भविष्य सुधर सकता है?
6.क्या आप वाकई उन बच्चों को एक अच्छा जीवन प्रदान करने की इच्छा रखते है?
अब जरा इस ओर ध्यान दें।
ये 11-12 साल की लङकी एक 4-5 साल के बच्चे को लेकर दिल्ली जी. टी. बी. नगर मेट्रो स्टेशन के पास भीख माँग रही थी। मेरे द्वारा इनसे घर और परिवार के बारे में पूछे जाने पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पाया। मेरे और इस लङकी के बीच 5 मिनट की बातचीत के दौरान ये 70-80 रूपये कमा चुकी थी।
एक साधारण युवक किसी निजी फर्म में एक घंटा काम करके 24-35 रूपये मेहनताना प्राप्त करता है जबकि ये भीख का व्यापार करने वाले एक घंटे में 500-1000 रूपये कमाते हैं यानि महीने के 15000-30000 फिर भी ये भिखारी के भिखारी ही हैं। क्यों?
या तो इन्हें भीख माँगने में मजा आता है और इनके परिवार वाले इनकी भीख की कमाई पर ही आश्रित हैं या फिर कोई बच्चों का व्यापारी इनसे जबरन भीख मँगवाता है। तीनों ही स्तिथियाँ एक स्वस्थ समाज में जहर घोलती प्रतीत होती हैं और हम सब इसको बढ़ावा दे रहे हैं।
मेरा आप सभी से अनुरोध है कि भीख के इस व्यापार को खत्म करने के लिए अपना योगदान दें। और इस प्रकार भीख देना बंद करें। बल्कि ऐसे बच्चों से हर संभव बात करके मामले की तह तक जाने की कोशिश करें। हो सकता है हम वाकई किसी मजबूर की सहायता कर सकें। अगर ये कार्य आप नहीं कर सकते तो भीख देना तो बंद कर ही सकते हैं।
कृपया अपने सुझाव यहाँ कमेंट करके बतायें।
Hem Chandra Tiwari
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