Monday, 30 July 2018
Sunday, 29 July 2018
Friday, 27 July 2018
Wednesday, 25 July 2018
कि मैं खुश हूँ, तू भी खुश रहना।
कि मैं खुश हूँ, तू भी खुश रहना।
कमीने इश्क़ की दास्ताँ भी क्या कहूँ
सिद्दत से करो तो भी गुनाह लगता है
सोचता हूँ रोक लूँ हर बार खुद को
पर गुनाह फिर करता हूँ सजा पाने को।
कि मैं खुश हूँ, तू भी खुश रहना।
न जाने कितनी दुआओं में माँगा तुझे
अब तो ख़ुदा भी मुझसे खफ़ा लगता है
सोचता हूँ समझा लूँ हर बार खुद को
पर मिन्नतें फिर करता हूँ तुझे पाने को।
कि मैं खुश हूँ, तू भी खुश रहना।
हाँ दीवाना हूँ। इसका भी अपना मज़ा है,
ज़ख्म इतने हैं,दर्द भी अब मरहम लगता है
सोचता हूँ क़तल कर दूँ हर बार खुद को
पर फिर भी जिंदा रहता हूँ तुझे मनाने को।
कि मैं खुश हूँ, तू भी खुश रहना।
Sunday, 22 July 2018
ना तुमने जाना मुझे ना समझा मेरा प्यार
कहूँ तो कहूँ कैसे अपने दिल का हाल
नहीं सुना तुमने कभी जो दिल ने कहा
क्यों फेर ली नज़रें तुमने न देखा मेरा प्यार
फिर भी साथ हो हरदम यूँ जताती क्यों हो
जो पहले ही पागल है तेरे प्यार में
उसे और पागल बनाती क्यों हो?
हाँ दौर बदले हैं, जमाना भी अब वो नहीं
तुम अब नहीं साथ और मैं भी वहाँ नहीं
फिर भी तुझको दिल सोचता क्यों है
ये तेरा आशिक़ मुकद्दर को कोसता क्यों है?
आज भी तुम यादों से मुझको सताती क्यों हो
जो पहले ही पागल है तेरे प्यार में
उसे और पागल बनाती क्यों हो?
तू चाहे किसी और को हमसफर बना ले
किसी और के शहर को अपना घर बना ले
जब भी मिलेंगे कभी किसी भी मोड़ पर
मैं फिर इजहार करूँगा, तुझसे ही प्यार करूँगा
पहले लड़ती हो मुझसे फिर मनाती क्यों हो?
जो पहले ही पागल है तेरे प्यार में
उसे और पागल बनाती क्यों हो?
Saturday, 21 July 2018
पत्थर नहीं आदम हूँ मैं
कहने को तो बात बहुत हैं, छिपे हुए कुछ राज बहुत हैं
पत्थर नहीं आदम हूँ मैं, दिल में दफ़न जज्बात बहुत हैं।
क्यों? क्या नहीं जानते हो? अंजान बने फिरते हो हमसे,
अरे मौत क्या मारेगी?
हमें क़त्ल करने को तेरी ये करामात बहुत हैं।
ऐसा नहीं के समझ नहीं थी हमें, नादानियाँ चाहे की हों,
महसूस तो होता होगा तुम्हें भी?
जहाँ प्रीत की तान बजती थी, वो रातें अब सुनसान बहुत हैं।
या कोई जुगनू छिपा रखे हो
या कोई जुगनू छिपा रखे हो हमसे यूँ ही गुमराह करने को
फ़िक्र हो जरा भी तो बता देना,
क्या है ना
इन बातों से हम आजकल परेशान बहुत हैं।
माफ़ करना ग़र कुछ गलत कह गए हम, ज़हन में उमड़ते तूफ़ान बहुत हैं
घर बना रखा था तेरी ख़ातिर सपनो से सजाकर
क्या पता था हमें के शहर में तेरे मकान बहुत हैं।
अक्सर बयाँ नही करते हाल इस बदनसीब का जिसे खिलौना समझ खेल गये तुम
जो चाहते तो हम भी कोई खिलौना खरीद लाते, मेला यहाँ भी लगता है और मेले में दुकान बहुत हैं।
पर क्या करें, फ़ितरत अपनी-अपनी
पर क्या करें, फ़ितरत अपनी-अपनी
पत्थर नहीं आदम हूँ मैं, दिल में दफ़न जज्बात बहुत हैं।
Friday, 20 July 2018
Thursday, 19 July 2018
कुछ लोग भूखे सोकर भी ग़ैरत बचा के रखते हैं
और कुछ अमीर लोग ग़ैरत भी बेच खाते हैं।
अजीब रिवाज़ है ऊपरवाले तेरी इस दुनिया का,
नसीब का रोना रोते हैं यहाँ नसीब वाले
और बदनसीब खुले आसमान के नीचे सो जाते हैं।
सुना है, प्यार से दुनिया जीती जा सकती है, मैंने
फिर क्यों यहाँ लोग एक दूजे का खून बहाते हैं?
गजब की रंजिश है तेरे प्रेम के पुतलों में,
मुकद्दर हर किसी का एक सा नहीं होता, जानते है वो
फिर न जाने क्यों दूसरों से इतनी जलन खाते हैं?
Wednesday, 11 July 2018
Tuesday, 10 July 2018
स्वप्रेरणा
अश्कों को छिपा कभी अपने
कभी अश्कों को पिघलने दे
मन को समझाले कभी-कभी
कभी हसरत तू उमड़ने दे।
दे आभाओं को तू प्रकाश
कभी गहरा करदे रातों को
पानी को पीकर प्यास बुझा
भीतर ज्वाला भी जलने दे।
अम्बर से ऊँचा उड़ने की
कर अभिलाषा तू रोज यहाँ
पतितों की पावन धरती है
क़दमों को इस पर चलने दे।
हे मनु पुत्र! तू गर्व न कर
चाहे अपने इस जीवन पर
पर कर्मों का ऐसा भोगी बन
सर पुरखों का न झुकने दे।
Sunday, 8 July 2018
इश्क़ की अधूरी दास्तां
कहने को जो बातें हैं
कब तुमसे हम कह पाएंगे
प्यार तुम्हारा पा न सके तो
जीते जी मर जायेंगे।
प्यार तुम्हारा हासिल हो
बस एक दुआ है उस रब से
जो न अपनाओ इस दिल को
उस रब से रूठ जायेंगे।
दिली तमन्ना है अपनी
तुझे खुशियों की सौगात मिले
जो हम न हो उन खुशियों में
फिर भी हम मुस्कुरायेंगे।
होगी लबों पे मुस्कानें
आँखों में रुसवाई होगी
तुम हमको भूल जाओगे
हम तुमको भूल न पाएंगे।
Saturday, 7 July 2018
बिसरे ख़्वाब
इक अज़ब सा ख़याल है दिल में
एक गज़ब का एहसास
वक़्त ढूंढ लाया है शायद
मेरे ख्वाबों को मेरे पास
कल तक तो बिसरा गये थे
आज फिर रौनक दिखी है
महसूस होने लगा अब हक़ीक़त में
कभी देखा था जो ख़्वाब।
अब न बेहोशी छानी है
न शिथिल पड़ेगा मन
हर पर नज़रों के सामने रख
संवरेगा हर छन,
बंद मुस्कानों की
बोलती खुल सी गयी
एक डूबा सागर फिर लहर बन गया
बर्फीली हवाओं की गर्माहट
अब चुभती नहीं
बेशक सर्द रहीं हों पिछली बार।
बेख़ौफ़ है सवेरा रूहानी हैं रातें
मिलता हूँ खुद से करने दो बात।
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